फ्लेट संस्कृती
कोई को किसी की नहीं परवाह यहाँ पर ,
वो खुश हैं अपने फ्लेट में ,तुम अपने फ्लेट में
होती है 'हाई 'हल्लो'जब मिल जाते लिफ्ट में ,
पर दोस्ती होती नहीं ,पल भर की भेट में
कल्चर गया ,गली का,मोहल्ले ,पड़ोस का,
रहते है व्यस्त टी वी में और इंटरनेट में
सब अपनी अपनी खा रहे,मस्ती में जी रहे ,
किसको पडी है झाँके जो,औरों की प्लेट में
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
कोई को किसी की नहीं परवाह यहाँ पर ,
वो खुश हैं अपने फ्लेट में ,तुम अपने फ्लेट में
होती है 'हाई 'हल्लो'जब मिल जाते लिफ्ट में ,
पर दोस्ती होती नहीं ,पल भर की भेट में
कल्चर गया ,गली का,मोहल्ले ,पड़ोस का,
रहते है व्यस्त टी वी में और इंटरनेट में
सब अपनी अपनी खा रहे,मस्ती में जी रहे ,
किसको पडी है झाँके जो,औरों की प्लेट में
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
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