दर्द - दिल्ली का
शादी हम पांच बहनो की थी हुई एक साथ
उनमे से चार ने तो मना ली सुहागरात
मैं सबसे छोटी ,दुलारी ,प्यारी और हसीं
दुल्हे का मेरे अभी तक कोई पता नहीं
बाकी सभी के दुल्हे तो थे खूब अनुभवी
मेरा था नौसिखिया ,कंवारा,ये कमी रही
सोचा था नव जवान है और जोश से भरा
कर देगा मेरी गोद को जल्दी हरा भरा
पर वो तो मेरे पास ही आने में सहमता
लोगों से फिर से पूछ के आउंगा,ये कहता ,
अब मेरे मन में होने लगा दर्द है यही
क्या मेरा ये दूल्हा कहीं नामर्द तो नहीं
दुल्हन बनी दिल्ली के कहा ,भर के ठंडी आह
लगता है अब तो करना पडेगा पुनर्विवाह
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
शादी हम पांच बहनो की थी हुई एक साथ
उनमे से चार ने तो मना ली सुहागरात
मैं सबसे छोटी ,दुलारी ,प्यारी और हसीं
दुल्हे का मेरे अभी तक कोई पता नहीं
बाकी सभी के दुल्हे तो थे खूब अनुभवी
मेरा था नौसिखिया ,कंवारा,ये कमी रही
सोचा था नव जवान है और जोश से भरा
कर देगा मेरी गोद को जल्दी हरा भरा
पर वो तो मेरे पास ही आने में सहमता
लोगों से फिर से पूछ के आउंगा,ये कहता ,
अब मेरे मन में होने लगा दर्द है यही
क्या मेरा ये दूल्हा कहीं नामर्द तो नहीं
दुल्हन बनी दिल्ली के कहा ,भर के ठंडी आह
लगता है अब तो करना पडेगा पुनर्विवाह
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।