बेचारा आदमी
कितना भला ,मासूम सा है प्यारा आदमी
कहता है कौन ,होता है बेचारा आदमी
उसको दुधारू जीव समझ बड़े प्यार से ,
डाले है बीबी ,और खाता ,चारा आदमी
उसकी कदर होती है घर में सिर्फ इसलिए ,
पैसा कमाके लाता ,ढेर सारा आदमी
करती है ऐश बीबियाँ ,और काम में जुटा ,
बन कोल्हू बैल,घूमता ,दिन सारा आदमी
ऐसा क्या लॉलीपॉप चुसाती है बीबियाँ ,
लालच में जिसके फिरता मारा मारा आदमी
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
कितना भला ,मासूम सा है प्यारा आदमी
कहता है कौन ,होता है बेचारा आदमी
उसको दुधारू जीव समझ बड़े प्यार से ,
डाले है बीबी ,और खाता ,चारा आदमी
उसकी कदर होती है घर में सिर्फ इसलिए ,
पैसा कमाके लाता ,ढेर सारा आदमी
करती है ऐश बीबियाँ ,और काम में जुटा ,
बन कोल्हू बैल,घूमता ,दिन सारा आदमी
ऐसा क्या लॉलीपॉप चुसाती है बीबियाँ ,
लालच में जिसके फिरता मारा मारा आदमी
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।