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सोमवार, 25 सितंबर 2023

चिर यौवन 


बचपन ,यौवन,वृद्धावस्था ,

ये जीवन का क्रम सदा रहे 

पर हर कोई करता प्रयास,

वह जब तक जिये ,जवां रहे 

खा लेने भर से च्यवनप्राश

हर दम ना टिकता है यौवन 

या शिलाजीत का सेवन कर

होता मजबूत शिला सा तन 

क्षरण नियम है प्रकृति का ,

होती है उम्र जब साठ पार 

आता है बुढ़ापा हर तन पर ,

दस्तक देता है बार-बार 

पर वृद्धावस्था से तुमको 

जो टक्कर लेकर जीना है 

हंसते-हंसते मरते दम तक

 यौवन का अमृत पीना है 

तो अपना हृदय जवान रखो 

तुम अपनी सोच जवान रखो 

मत देखो श्वेत केश ,मन में,

तुम यौवन का तूफान रखो 

मन में फुर्तीले होने से ,

फुर्तीला हो जाता तन है 

डर दूर बुढ़ापा भग जाता, 

कायम रहता चिर यौवन है 

रहते उमंग और जोश भरे ,

जो खुश रहते हंसते गाते 

मन से जवान वो रहते हैं 

चिर युवा वही है कहलाते


मदन मोहन बाहेती घोटू

जीवन में सफलता के सूत्र


कई समस्यायें जीवन की हल होंगी

बस थोड़ा व्यवहार कुशल हो जाओ तुम

कोई से जब मिलो ,मिलो अपनेपन से, और गर्म जोशी से हाथ मिलाओ तुम 


जब  कुछ बोलो,बोल तुम्हारे मीठे हो,

होठों पर मुस्कान ,खुशी हो चेहरे पर 

दीन दुखी की सेवा और मदद करने,

अपने तन और मन से सदा रहो तत्पर


 मिलो बुजुर्गों से तो उनको नमन करो,

बच्चों से मिल,प्यार उन्हे तुम जतलाओ 

हो गंभीर करो सब बातें बिजनेस की,

अपना दृष्टिकोण अच्छे से समझाओ 


होगा अगर आचरण जो व्यवहार कुशल

सदा सफलता पाओगे तुम जीवन में 

ज्यादा मुंह फट होना भी है ठीक नहीं ,

कुछ बातों को रखना पड़ता है मन में


बिगड़ी बातें बनती *सौरी*कहने से ,

और*थैंक यू *सुन खुश हो जाताअगला 

नारीशक्ति की सदा प्रशंसा करने से,

 तुम्हारा जीवन में होगा बहुत भला 


क्या कब करना सोच समझकर निर्णय लो

परिस्थिति को पहले देखोभालो तुम 

ये सब सूत्र सफलता के हैं जीवन में,

सुखी रहोगे अगर इन्हें अपनालो तुम 


मदन मोहन बाहेती घोटू

मन बूंदी बूंदी हो जाता


तुम रसगुल्ले सी रसभीनी ,

मीठी बातें जब करती हो 

तो गरम चासनी में डूबा,

 मन बूंदी बूंदी हो जाता 


जब तन की गरम कढ़ाही में

वह दूध खौलता ,गरम-गरम,

 मीठी रबड़ी सा स्वाद भरा,

 यह मन बासूंदी हो जाता 


जब गोल-गोल टेढ़े मेढे,

करती हो कई बहाने तुम 

आता है स्वाद जलेबी का, 

मैं बड़े चाव से खाता हूं 


जब तुम शरमाती गालों पर,

तो गाजर के हलवे जैसी,

 छा जाती गुलाबी रंगत है 

मैं स्वाद अनोखा पाता हूं


मुंह खोल,अधर कर चौड़े से

जब गटकाती पानीपुरियां ,

मुझको लगता है चुम्बन का

यह तुम्हारा आवाहन है 


जब चाट, चाट चटकारे भर ,

तुम सीसी, सीसी करती हो 

तो तुम्हें देख कर जाने क्या 

सोचा करता मेरा मन है 


तुम डोमिनो के पिज़्ज़ा सी,

 या मैकडॉनल्ड की बर्गर हो 

तुम मोमो जैसी स्वाद भरी ,

या जैसे गरम समोसा हो 


तुम हो आलू की टिक्की सी 

या छोले और भटूरे सी

इडली सी नरम मुलायम तुम

 स्वादिष्ट मसाला डोसा हो 


तुम हो वेजिटेबल पुलाव 

या कभी सयानी बिरियानी,

मैं दाल माखनी के जैसा 

मिल-जुल कर स्वाद बढ़ाता हूं 


तुम मधुर मधुर पकवान डियर 

मैं खानपान शौकीन बहुत 

हर स्वादिष्ट व्यंजन का मैं ,

तुममें स्वाद पा जाता हूं


मदन मोहन बाहेती घोटू

भजन


मेरे बदल गए घनश्याम, द्वारका जाकर के

वो तो भूल गए ब्रजधाम,द्वारका जाकर के


भूले प्यार नंद बाबा का 

लाड़ दुलार, जसोदा मां का 

भूल गए माखन का चुराना

बंसी वट में धेनु चराना 

 भूले जमुना में स्नान ,द्वारका जाकर के

मेरे बदल गए घनश्याम,द्वारका जाकर के


बाल सखा ,सब यार को भूले 

गोपी ग्वाल का प्यार वो भूले

भूल गए बंसी का बजाना 

जमना तट पर रास रचाना 

ना रहे पहले जैसे श्याम, द्वारका जाकर के      

मेरे बदल गए घनश्याम,

द्वारका जाकर के


छोड़ बांसुरी, वो गिरधारी 

बन गए चक्र सुदर्शन धारी 

भूले राधा प्रीत सुहानी 

अब हैं आठ आठ पटरानी 

उनका ऊंचा होगया नाम,द्वारका जाकर के

मेरे बदल गए घनश्याम ,

द्वारका जाकर के


मीठा जमुना का जल छोड़ा

सागर के संग नाता जोड़ा 

अब ना मोर मुकुट वो पहने

सर पर राज मुकुट और गहने 

हुआ द्वारकाधीश है नाम द्वारका जाकर के

मेरे बदल गए घनश्याम ,

द्वारका जाकर के


मदन मोहन बाहेती घोटू

मज़ा बुढ़ापे का 

जब भी जी चाहे सो जाओ 
जब भी जी चाहे जग जाओ 
जो जी चाहे खाओ पियो 
अपनी मन मरजी से जियो 
मन कहे, करो तो वैसे ही 
है मज़ा बुढ़ापे का ये ही 

ना दफ्तर जाना सुबह दौड़ 
ना ही बिजनेस की तोड़फोड़ 
ना तो ऊधो को कुछ देना 
ना ही माधो से कुछ लेना 
ना कोई की जवाब देही 
है मज़ा बुढ़ापे का ये ही 

तुम सुबह उठो पेपर चाटो 
या टीवी देखो ,दिन काटो 
या घूमो माल ,बाजारों में 
या गपशप मारो यारों में 
बन रहो सभी के तुम स्नेही 
है मज़ा बुढ़ापे का ये ही 

जीवन भर खट ,जो धन जोड़ा 
खुद पर भी खर्च करो थोड़ा 
अब त्यागो सब मोह माया को 
जी भर सुख दो निज काया को 
पैसा काम आए अपने ही 
है मज़ा बुढ़ापे का ये ही

जब मृत्यु वाला दिन तय है 
तो तुमको काहे का भय है 
जो होना है ,हो जाने दो 
जीवन में मस्ती आने दो 
तुम मौज उड़ाओ ऐसे ही 
है मज़ा बुढ़ापे का ये ही 

मदन मोहन बाहेती घोटू 

शुक्रवार, 22 सितंबर 2023

मैंने वो दिन भी देखे हैं

जब जीना पल पल मुश्किल था,
मैंने वो दिन भी देखे हैं 

मैं आपातकालीन सेज पर,
पड़ा हुआ था रुग्णालय में 
मेरी सांसे सहम रही थी ,
पास खड़ी मृत्यु के भय में
लेकिन जीने की उत्कंठा ,
मुझको दिला रही थी शक्ति 
आत्मीय जन और मित्रों की 
कई दुआएं,पूजा, भक्ति 
मुझे छीन कर मृत्यु मुख से 
फिर से वापस ले आई थी 
और चिकित्सक की मेहनत भी
 धीरे-धीरे रंग लाई थी 
नियति की लीला के आगे ,
सबने ही घुटने टेके हैं 
जब जीना पल पल मुश्किल था,
 मैंने वो दिन भी देखे हैं 

उठ ना पाता था बिस्तर से,
 तन इतना कमजोर हुआ था 
आशा और निराशाओं का 
मन में ऐसा दौर हुआ था 
मन कहता था हिम्मत रख, जी,
 बुरा वक्त है कट जाएगा 
तेरे सब सत्कर्मों का फल 
तुझ में नवजीवन लायेगा
मेरी इच्छा शक्ति रह रह,
मुझको दिला रही थी ढाढस 
नई जिंदगी शुरू हो गई ,
पहले के जैसी जस की तस
दौर दूसरा यह जीवन का ,
शुरू हुआ खुशियां लेके है 
जब जीना पल पल मुश्किल था 
मैंने वो दिन भी देखे हैं

मदन मोहन बाहेती घोटू 
हर दिन 

तुम खुश मेरी पूनम उस दिन
तुम नाराज अमावस उस दिन 

जिस दिन भृकुटी तनी तुम्हारी,
उस दिन तपन, गरम लू चलती 
जिस रहती खफा मौन तुम ,
वह सरदी की रात ठिठुरती 
जिस दिन बरसे प्यार तुम्हारा,
उस दिन ही सावन की रिमझिम 
तुम खुश मेरी पूनम उस दिन 
तुम नाराज़,अमावस उस दिन

जिस दिन तुम हंसती, मुस्कुराती,
 चलती है बयार बासंती
तुम्हारे मिजाज के माफिक 
मेरी सारी ऋतुएं बनती
जब तुम चहको, पंछी चहके,
जब तुम बहको ,बहके मौसम 
तुम खुश ,मेरी पूनम उस दिन
तुम नाराज़,अमावस उस दिन

जब तुम मुंह ढक कर सोती हो,
उस दिन चंद्र ग्रहण है लगता
जब तुम अंगड़ाई लेती हो ,
छाती मस्तानी मादकता 
बिन तुम्हारे नींद ना आती ,
रात गुजरती तारे गिन गिन 
तुम खुश, मेरी पूनम उस दिन 
तुम नाराज ,अमावस उस दिन

मदन मोहन बाहेती घोटू 

गुरुवार, 21 सितंबर 2023

शौक जवानी वाले


है तन में थोड़ी कमजोरी ,

और कई बीमारी पाले हैं 

हो गई बयांसी उम्र मेरी ,

 पर  शौक जवानी वाले हैं 


घर की रोटी और दाल छोड़,

बाहर होटल में खाते हैं 

या फिर स्विगी को ऑर्डर दे,

पिज़्ज़ा बर्गर मंगवाता है 

है गरम कचोरी मनभाती ,

या खाते छोले भटूरे हैं 

रबड़ी केऔर जलेबी के ,

हम अब भी आशिक पूरे हैं 

दो घूंट कभी गटका लेते,

तो हो जाते मतवाले हैं 

हो गई बयांसी उम्र मेरी 

पर शौक जवानी वाले हैं 


अब भी हम पहना करता हैं 

 कपड़े रंगीन और चटकीले 

पूरे फैशन के मारे हैं,

और शोक हमारे रंगीले 

सागर तट पर सैर सपाटा ,

हमको बहुत सुहाता है 

लहरों के संग,अठखेली में 

 मजा बहुत ही आता है 

अपने मन को बहलाने के 

यह सब अंदाज निराले हैं 

हो गई बयांसी उम्र मेरी ,

पर शौक जवानी वाले हैं 


अब भी आशिक मिजाज है दिल 

जो देख हुस्न, ललचाता है 

पाने को साथ जवानी का ,

मन तरसा तरसा जाता है 

मन देश विदेश घूमने को 

अब भी आतुर रहता हरदम 

बस यूं ही उछालें भरता है,

हालांकि बचा ना कुछ दम खम 

खुद को जवान समझने की,

हम गलतफहमियां पाले हैं 

हो गई बयांसी उम्र मेरी ,

पर शौक जवानी वाले हैं


मदन मोहन बाहेती घोटू

आती है मां याद तुम्हारी


तेरी सूरत प्यारी प्यारी

आती है मां याद तुम्हारी


तूने जन्म दिया और पाला 

अपने हाथों खिला निवाला 

दूध पिलाया ,चिपका छाती 

लोरी गा तू मुझे सुलाती 

मैं रोया , तुमने पुचकारा 

स्वार्थहीन था प्यार तुम्हारा 

मेरी बाल सुलभ कीड़ा पर, 

बार-बार जाती बलिहारी 

आती है मां याद तुम्हारी 


तूने अक्षर ज्ञान कराया 

चलना,उंगली पकड़ सिखाया 

जब भी गिरा ,उठाया तूने 

ढाढस दे,समझाया तूने 

हर सुख दुख में साया तेरा 

हरदम बना ,सहायक मेरा 

तेरे ही आशीवादों से,

 मैं जीवन में बड़ा अगाड़ी 

आती है मां याद तुम्हारी 


आज तू नहीं ,तेरी यादें 

रखती परिवार को बांधे 

सब बेटी बेटे तुम्हारे 

हैं संपन्न ,सुखी है सारे 

अब भी वरदहस्त तुम्हारा 

देता हमको सदा सहारा 

तेरी शिक्षा ,तेरी दिक्षा,

 सदा प्रेरणा बनी हमारी 

आती है मां याद तुम्हारी


मदन मोहन बाहेती घोटू

रविवार, 17 सितंबर 2023

नवदुर्गा

देखो आई आई नवरात 
दरश नव दुर्गा का 
सब देवेंगी आशीर्वाद ,
दरश नव दुर्गा का

पहली देवी शैलपुत्री है 
यह तो सती जी का है अवतार
 दरश नव दुर्गा का 

दूजी देवी ब्रह्मचारिणी,
आई वस्त्र श्वेत ये धार
दरश नव दुर्गा का 

चंद्रघटा है तीजी देवी ,
भक्ति शक्ति अपार 
दरश नव दुर्गा का 

चौथी देवी कूष्मांडा है , 
रचा जिसने सकल संसार ,
दरश नव दुर्गा का 

स्कंधमाता देवी पांचवी,
करें कार्तिकेय से प्यार
दरश नव दुर्गा का 

छठवीं देवी कांतायनी मां ,
 ये है शक्ति का भंडार 
दरश नव दुर्गा का 

सातवीं देवी कालरात्रि है ,
करे दुष्टों का संहार,
दरश नव दुर्गा का 

महागौरी है देवी आठवीं ,
सुंदर,शांत व्यवहार 
दरश नव दुर्गा का 

नवमी देवी सिद्धिदात्री ,
करे सब पर कृपा अपार 
दरश नव दुर्गा का 

करके दर्शन नव देवी का 
पाएं आशीर्वाद सभी का 
होगा जीवन में आल्हाद,
दरश नव दुर्गा का 
देखो आई आई नवरात
 दरश नव दुर्गा का

मदन मोहन बाहेती घोटू

बोलो श्याम श्याम श्याम


मेरे मन के अंदर श्याम 

मेरे तन के अन्दर श्याम

मेरे रोम रोम में श्याम 

जपता हूं मैं सुबह शाम

बोलो श्याम श्याम श्याम 


बाबा नंद जी के दुलारे 

मैया जसमत के तुम प्यारे

कभी गोकुल गांव के ग्वाले 

वन में धेनु चराने वाले 

बालक रूप धरे भगवान 

बोलो श्याम श्याम श्याम 


कभी माखन हो चुराते 

कभी गोपी को सताते 

कभी बांसुरी हो बजाते 

जमुना तट पर रास रचाते 

ऐसे प्यारे तुम घनश्याम 

बोलो श्याम श्याम श्याम 


तुम हो बांके बहुत बिहारी 

तुम बनवारी,किशन मुरारी 

कभी हो मोर मुकुट के धारी 

सोलह कला के अवतारी 

कैसी सुंदर छवि अविराम 

बोलो श्याम श्याम श्याम 




जय जय कृपासिंधु सब लायक

सुमिरन तुम्हारा सुखदायक

तुम हो महाभारत के नायक 

जय जय गीता ज्ञान के गायक 

जाकर बसे द्वारका धाम 

बोलो श्याम श्याम श्याम


जय जय चक्र सुदर्शन धारी

मन में बसी है छवि तुम्हारी

कितनी सुन्दर कितनी प्यारी

दर्शन दे दो ओ गिरधारी

तुमको कोटि कोटि प्रणाम

बोलो श्याम श्याम श्याम



मदन मोहन बाहेती घोटू

बोलो श्याम श्याम श्याम

मेरे मन के अंदर श्याम 
मेरे तन के अन्दर श्याम
मेरे रोम रोम में श्याम 
बोलो श्याम श्याम श्याम 

बाबा नंद के दुलारे 
मैया जसमत के प्यारे
कभी गोकुल के ग्वाले 
वन में धेनु चराने वाले 
बालक रूप धरे भगवान 
बोलो श्याम श्याम श्याम 

कभी माखन चुराते 
कभी गोपी को सताते 
कभी बांसुरी बजाते 
कभी रास रचाते 
ऐसे प्यारे हैं घनश्याम 
बोलो श्याम श्याम श्याम 

कभी बनवारी गिरधारी 
कभी किशन मुरारी 
कभी मोर मुकुट के धारी 
सोलह कला के अवतारी 
कैसी सुंदर छवि अभिराम 
बोलो श्याम श्याम श्याम 

जय जय चक्र सुदर्शन धारक 
मामा कृष्ण के संहारक 
महाभारत के तुम नायक 
गीता ज्ञान के तुम गायक 
जाकिर बसे द्वारका धाम 
बोलो श्याम श्याम श्याम

मदन मोहन बाहेती घोटू 

बुधवार, 13 सितंबर 2023

 बोल्ड ब्यूटी  तीन चौके 


एक


नजर तिरछी डाल हम पर, हमको बोअर कर दिया 

जो खुला था ,बंद उनने ,दिल का डोअर कर दिया 

टेढ़े मेढ़े दांत दिखला, मुस्कुराए इस तरह,

टेस्ट मुंह का था जो मीठा, वह भी सोअर

 कर दिया 


दो 


था बदन फुटबॉल सा हम देख आउट हो गए 

बोल्ड ब्यूटी देख , बोअर, बिना डाउट हो गए 

 एचकतानी आंख थी और कान ऐसे लटकते ,

भिगोने से चाय में जैसे कि बिस्किट हो गए 


तीन


नाक थी उनकी निराली,नल की टोटी की तरह 

फेस था उनका जड़ाऊ ,जली रोटी की तरह 

चलते थे तो झूलती थी ,हाय उनकी चोटियां ,

सूखती जैसे हवा में ,हो लंगोटी की तरह


मदन मोहन बाहेती घोटू

गुरुवार, 7 सितंबर 2023

विनती परमेश्वर से 

विनती है तुझसे परमेश्वर 
मुझे बुलाए जब अपने घर 
मत देना व्याधि का संकट 
लेना मुझे बुला तू झटपट 
रुग्णालय में रहूं तड़पता,
 ऐसा बुरा नसीब ना देना 
मेरे कारण कभी किसी को,
होने कुछ तकलीफ न देना 

मोहजाल में फंसा हुआ मैं 
जल्दी से अब जाऊं निकलता 
आया था मैं रोता रोता 
लेकिन जाऊं हंसता हंसता 
बना रहे परिवारजनों में 
प्यार भाव पहले ही जैसा 
उन पर विपदा कोई ना आए 
सुख शांति से रहे हमेशा 
हो समृद्ध ,प्रफुल्लित जीवन ,
कभी किसी को टीस न देना 
मेरे कारण कभी किसी को 
होने कुछ तकलीफ न देना 

जीवन भर सत्कर्म किए हैं 
नहीं दुखाया कोई का दिल 
बस इतनी तू कृपा बनाना,
जगह स्वर्ग में जाए मुझे मिल 
मेरी अर्धांगिनी पत्नी ने ,
ख्याल रखा है मेरा हर क्षण 
इसीलिए विनती है जब तक 
वह जिए बन रहे सुहागन 
परेशानियां कोई उसके 
आने कभी करीब न देना 
मेरे कारण कभी किसी को 
होने कुछ तकलीफ न देना 

मन में गिला न शिकवा कोई 
नहीं किसी से रुष्ट रहूं मैं
जिऊं एक संपूर्ण जिंदगी 
और सदा संतुष्ट रहूं मैं
क्षणभंगुर जीवन में जब भी 
आए जुदाई का जब वह पल 
मुंह पर तेरा नाम बसा हो 
हो मुस्कान मेरे चेहरे पर 
कोई दुख को या पीड़ा को 
आने मेरे समीप न देना 
मेरे कारण कभी किसी को 
होने कुछ तकलीफ न देना

मदन मोहन बाहेती घोटू 

गुरुवार, 31 अगस्त 2023

भजन

मुझे जब भी उठाना भगवान, स्वर्ग में ले जाना 
मेरे मुख हो तेरा नाम ,स्वर्ग में ले जाना
 मुझे जब भी उठाना भगवान, स्वर्ग में ले जाना 
 
भक्ति भाव से मैं जीवन में 
डूबा रहा भजन कीर्तन में 
मैंने हर दिन सांझ सवेरे 
गायें हैं भगवन गुण तेरे 
किए दर्शन चारों धाम ,स्वर्ग में ले जाना 
मुझे जब भी उठाना भगवान, स्वर्ग में ले जाना

दुख ना दिया किसी को भगवन 
सत्कर्मों से जिया जीवन 
दीन दुखी की सेवा कर कर 
आशिशों से झोली भरकर 
नहीं किया बुरा कोई काम, स्वर्ग में ले जाना 
मुझे जब भी उठाना भगवान, स्वर्ग में ले जाना

 चौरासी योनी का चक्कर 
 मुझको मुक्त कराना ईश्वर 
 पार बेतरणी करवा देना 
 मुझको मोक्ष दिला तू देना 
 तुझे कोटि-कोटि प्रणाम, स्वर्ग में ले जाना 
 मुझे जब भी उठाना भगवान, स्वर्ग में ले जाना

मदन मोहन बाहेती घोटू 
करवा चौथ 

देखो प्यार की रीत निराली 
आई करवा चौथ है प्यारी 
यह है उत्सव अमर सुहाग का 
पति पत्नी के अनुराग का 

मेहंदी हाथों में रचाई 
नई चूड़ियां खनकाई 
पहने गोटे की चुनरिया 
गोरी फिर से बनी दुल्हनिया
किए पूरे सोलह सिंगार रे 
आज साजन लुटाएंगे प्यार रे

आई करवा चौथ है प्यारी
देखो प्रीत की रीत निराली 
यह है उत्सव अमर सुहाग का 
पति पत्नी के अनुराग का 

व्रत कर कुछ ना पिया खाया 
चंदा सा मुखड़ा मुरझाया 
चलनी से कर चंदा दरशन 
रात करवा पिलाएंगे साजन 
फिर लेगी थोड़ा सा आहार रे 
आज साजन लुटाएंगे प्यार रे

देखो प्यार की रीत निराली
आई करवा चौथ है प्यारी 
यह है उत्सव अमर सुहाग का 
पति पत्नी के अनुराग का

मदन मोहन बाहेती घोटू 
करवा चौथ 

देखो आई करवा चौथ,प्यार का पूजन रे 
गौरी व्रत रखे ,जिए सौ साल हमारे साजन रे 

गोरे गोरे हाथों में मेहंदी रचा के 
गोरे गोरे तन पर चुनर लहराके 
हाथों में खनकती चूड़ियां है खनखन होठों पर लाली है आंखों में अंजन 
करेपूरे सोलह श्रृंगार, बने फिर दुल्हन रे 
देखो आई करवा चौथ, प्यार का पूजन रे 
गोरी व्रत रखे ,जिए सौ साल हमारे साजन रे 

पिया हेतु व्रत करे,प्यार दिखलाए 
रहे भूखी दिन भर, कुछ भी न खाए 
रात करे छलनी से चंदा का दरशन 
करवे से अमृत पिलाते हैं साजन 
रहे अमर हजारों साल प्यार का बंधन रे
देखो आई करवा चौथ,प्यार का पूजन रे
 गोरी व्रत रखे ,जिए सौ साल हमारे साजन रे

मदन मोहन बाहेती घोटू 

गुरुवार, 24 अगस्त 2023

रिश्ता चांद से

जिस चांद के प्रतिबिंब को ,
पानी की थाली में ,
बचपन में मैं 
अपने कोमल हाथों से
हिलाया डुलाया करता था 

जिस चांद को बड़े प्यार से
 मैं चंदा मामा कह कर 
 बुलाया करता था
 
जिस चांद की लोरी 
*चंदा मामा दूर के *
*पुए पकाए पूर के *
गा गा कर मां मुझे
दूध की घूंट पिलाती थी 

जिस चांद को देखकर ,
चौथ का व्रत किये,
दिनभर की भूखी मेरी मां ,
खाना खाती थी 

जिस चांद की तुलना
 बेटे से *चांद सा बेटा* कह कर 
 और प्रेमिका से 
* चांद सी महबूबा *कहकर की जाती है 
 
जिस चांद का नाम लेकर 
प्रथम मिलन की रात को 
दुनिया* हनीमून *मनाती है 

जिस तरह अपनी पत्नी के
 कोमल कपोलों पर 
 मेरे थरथराते होठों ने 
 प्यार का पहला चुंबन था चिपकाया
 
आज मेरे देश के वैज्ञानिकों ने
 उसी चांद पर 
 चंद्रयान है उतराया 
 
यह हमारे देश के वैज्ञानिकों की
तकनीकी उत्कृष्टता का सबूत हो गया है 

चांद से हमारा पुराना रिश्ता 
और भी मजबूत हो गया है 

मदन मोहन बाहेती घोटू 

बुधवार, 23 अगस्त 2023

वशीकरण मंत्र

अपने नव विवाहित बेटे से पूछा उसकी मां ने 
बेटा ,क्या तेरी बहू जादू टोना है जाने 
पहले तू मेरे आगे पीछे घूमता था 
मेरी हर बात को सुनता था 
अब तुझे बात करने का भी टाइम नहीं मिल पाये हैं 
जब भी मिले, पत्नी के गुण गाये हैं 
तेरी बीवी ने ऐसा क्या जादू किया है 
जो चार दिनों में तुझे काबू किया है 
बेटा बोला ,अम्मा यही सवाल दादी ने पापा से किया था
 मेरा जवाब भी वही है, जो पापा ने दिया था 
 ये बात तो जानी मानी है
 हर घर की यही कहानी है
 वैसे यह वशीकरण मंत्र तू भी जाने हैं 
 तभी तो पापा तेरी हर बात माने हैं

मदन मोहन बाहेती घोटू 

सोमवार, 21 अगस्त 2023

जिंदगी की हकीकत

ढूंढ रहे क्यों दोष पराये , झांको अपने मन अंदर 
दुनिया भर की सारी कमियां, साफ आएंगे तुम्हें नज़र 
जिंदगी की हकीकत यही है 

देख पराई चिकनी चुपड़ी, मत मलाल मन में लाना 
तुम्हें पता है, तुमको घर की, रोटी दाल ही है खाना 
जिंदगी की हकीकत यही है 

कितनी पीड़ा सह सह तुमने, ये जो बच्चे पाले हैं 
बड़े हुए ,जब पंख लगेंगे ,सब उड़ जाने वाले हैं 
जिंदगी की हकीकत यही है 

तुमने खटकर,जोड़ तोड़कर, यह जो दौलत जोड़ी है 
साथ नहीं कुछ भी जानी है, यहीं पर जानी छोड़ी है 
जिंदगी की हकीकत यही है 

आज आज्ञाकारी बनते , काम नहीं कल आएंगे 
उंगली पकड़ सिखाया जिनको ,उंगली तुम्हें दिखाएंगे 
जिंदगी की हकीकत यही है 

जिनको तुम अपना कहते हो ,भूल जाएंगे सभी जने 
उनकी दीवारों पर कुछ दिन ,लटकोगे तस्वीर बने 
जिंदगी की हकीकत यही है 

अपने और पराये का तुम, मन में पालो नहीं भरम 
इसीलिए सत्कर्म करो तुम, साथ जाएंगे सिर्फ करम 
जिंदगी की हकीकत यही है

मदन मोहन बाहेती घोटू
हम भी खुश और अगला भी खुश

कई बार ऐसा होता कुछ
हम भी खुश और अगला भी खुश 

मैं भगवन को शीश नमाता 
श्रद्धा से परशाद चढाता 
वो ना खाते , मैं ही खाता 
पत्नी को भी शीश नमाता 
सारी तनख्वाह उसे थमाता 
उससे ले घर कर चलाता 
वह समझे, वो ही है सब कुछ 
मैं भी खुश और पत्नी भी खुश 

प्रभु जी का गुणगान करूं मैं 
कीर्तन भजन तमाम करूं मैं 
श्रद्धा सहित प्रणाम करूं मैं 
मैं पत्नी के भी गुण गाता 
सास ससुर को शीश नमाता 
ढेर प्यार पत्नी का पाता
वह न्योछावर करती सब कुछ 
मैं भी खुश और पत्नी भी खुश 

बच्चे सारे आए जिद पर 
नई लगी ,देखे वह पिक्चर 
पैसे मिले, गए खुश होकर 
अब घर में मैं और पत्नी थी 
सजी धजी और बनी ठनी थी 
तन्हाई में मौज मनी थी 
बहुत ही मज़ा आया सचमुच 
हम भी खुश और बच्चे भी खुश

मदन मोहन बाहेती घोटू 
टेंशन तुम मत लेना 

एक बात तुमसे कहता हूं, ध्यान सदा तुम देना 
चाहे जो कुछ भी हो जाए ,टेंशन तुम मत लेना 

जो बारिश कम, तुम्हें टेंशन 
बारिश ज्यादा तो भी टेंशन 
गर्मी पड़ती ,नहीं सुहाता 
बिजली जाती, टेंशन आता 
टेंशन ,आए डेंगू मच्छर 
टेंशन, महंगे हुए टमाटर 
टेंशन है बढ़ती महंगाई 
कुछ ना कुछ होता दुखदाई 
खुश होकर के खाओ पियो, 
जो भी मिले चबैना 
कभी टेंशन तुम मत लेना 

एक बात सुन लो मेरे भाई 
पत्नी की मत करो बुराई 
चला रही है वही गृहस्थी
उसके कारण घर में बस्ती 
रखती वह बैलेंस बनाकर
सुख पाओ उसके गुण गाकर 
कभी झगड़ना मत पत्नी से 
उसे चाहना हरदम जी से 
उसकी सब की सब बातों पर 
सदा तबाज्जो देना
 कभी टेंशन तुम मत लेना 
 
 जो होना है सो होना है 
 तो फिर काहे का रोना है 
 कब क्या होगा किसने देखा 
 लिखा हुआ नियति का लेखा
 तो फिर क्यों चिंता ले मन में 
 रहते हो तुम सहमे सहमे
 बचा हुआ है जितना जीवन 
 क्यों न खुशी से फिर जिए हम 
 हंसकर गाकर वक्त गुजारें,
 बन कर तोता मैना 
कभी टेंशन तुम मत लेना

मदन मोहन बाहेती घोटू 

रविवार, 20 अगस्त 2023

मेरा देश

अलगअलग भाषाएं सब की अलग सभीके भेष हैं 
लेकिन सब के सब मिल करके ,देते प्रेम संदेश है 
यह मेरा देश है ,यह भारत देश है 

हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई सब में भाईचारा है 
सर पर मुकुट हिमालय का है बहती गंगा धारा है 
तीन तरफ सागर की लहरें करती जलअभिषेक है 
यह मेरा देश है ,यह भारत देश है 

रामेश्वर जगदीश द्वारका बद्री धाम हैं चार यहां 
महाकाल है विश्वनाथ है ज्योतिर्लिंग केदार यहां
धोने पाप सभी गंगा में ,हरिद्वार ऋषिकेश है 
यह मेरा देश है,यह भारत देश है 

यह धरती राणाप्रताप की,वीर शिवा की, गांधी की 
जिनने सबने बीन बजाई ,भारत की आजादी की 
बुद्ध और महावीर ने दिया ,शांति का संदेश है 
यह मेरा देश है ,यह भारत देश है 

यहां अजंता एलोरा है ,ताजमहल, नालंदा है 
होली और दीवाली उत्सव बड़े प्रेम से मनता है 
तीन देव रक्षा करते हैं, ब्रह्मा विष्णु महेश है 
यह मेरा देश है ,यह भारत देश है 

ज्ञान और विज्ञान यहां पर सदियों से ही उन्नत है 
सोने की चिड़िया कहलाता ,देश हमारा भारत है 
राम कृष्ण अवतरित हुए थे उनकी कृपा विशेष है 
यह मेरा देश है ,यह भारत देश है

मदन मोहन बाहेती घोटू 
एक नारी सब पर भारी 

महिलाएं सब पर पड़ती भारी है 
पुरुष सब कुछ सहता है ,लाचारी है 
सब चीज पर जताती है अपना अधिकार 
कब्जा किए हैं सब तिथि और त्योहार 
पहली तिथि गुड़ी पड़वा 
तो दूसरी तिथि भाई दूज है 
दोनों में ही इनकी होती पूछ है
तीसरी तिथि तीज पर इनका एकाधिकार है 
सजती संवरती है,करती सोलह सिंगार है 
चौथी चौथ, चारों चौथों पर व्रत रखती है 
और रात को चांद का दीदार करती है 
पांचवी तिथी बसंत पंचमी 
और छठी को छठ है मनाना 
सप्तमी को शीतला सप्तमी ,
खिलाती है ठंडा खाना 
अष्टमी को होईअष्टमी रखती है 
दुर्गा नवमी को अपनी शक्ति का प्रदर्शन करती है दशमी को विजयादशमी बनाती है 
एकादशी को तुलसी का विवाह कराती है 
द्वादशी को बछ बारस 
और धनतेरस को बरसता है धन 
चौदस को रूप की चौदस
और अमावस को होता है लक्ष्मी का पूजन महिलाओं का वर्चस्व होता है हर दिन पर 
मर्द विचारा काम में जुटा रहता है महीना भर 
इन को खुश करने के लिए कमाता है 
कभी जेवर दिलाता है 
कभी घेवर खिलाता है 
कभी उनको करवा पिलाता है 
यह रानी कहलाती है 
वह नौकर कहलाता है 
पत्नी हमेशा रहती है तनी
और पति पर सदा विपत्ति रहती है भारी
पुरुष सब कुछ सहता है क्योंकि है लाचारी
एक नारी ,सब पर भारी

मदन मोहन बाहेती घोटू
देखो यह बात ठीक नहीं

तुम वधू हो मैं तुम्हारा वर
तुम्हें भेंट करता हूं जेवर 
तुम्हें खिलाता लाकर घेवर 
पर तुम दिखलाती हो तेवर 

देखो यह बात ठीक नहीं 

मैं हूं घर वाला तुम्हारा 
नाचूं जब तुम करो इशारा 
हरदम रखना ख्याल तुम्हारा 
पर तुम नहीं डालती चारा 

देखो यह बात ठीक नहीं 

मैं तुम्हारा प्रेमी अच्छा 
तुम्हें प्यार करता हूं सच्चा 
देता उपहारों का लच्छा 
पर तुम हरदम देती गच्चा 

देखो यह बात ठीक नहीं 

मैं तुम्हारा पति परमेश्वर 
करता तुम पर जान निछावर 
तुम्हें चाहता दिल से डियर 
तुम तरसाती रहती हो पर 

देखो यह बात ठीक नहीं

मैं तुम्हारा सच्चा आशिक 
इतने वर्षों रहा साथ टिक 
गया प्रेम में तुम्हारे बिक
और तुम करती रहती चिक चिक

 देखो यह बात ठीक नहीं
 
 मैं तो हूं तुम्हारा स्वामी 
 पर नौकर बन करूं गुलामी 
 हर एक बात पर भरता हामी 
 लेकिन तुम करती मनमानी
 
देखो यह बात ठीक नहीं

मदन मोहन बाहेती घोटू 

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