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गुरुवार, 1 सितंबर 2022

अंधे की रेवड़ी 

लग जाती है रेवड़ी, जब अंधे के हाथ 
वह अपनों को बांटता, भरकर दोनों हाथ
भरकर दोनों हाथ, मुफ्त का माल लुटाता 
दरिया दिली दिखाकर, वाही वाही पाता 
बदले में कुछ नहीं कृपा इतनी कर देना 
बसअगले चुनाव में वोट मुझी को देना

घोटू 

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