ओ गिरधारी, छवि तुम्हारी
मुझको एक बार दिखला दो
गोप गोपियों पर बरसाया,
वही प्यार मुझ पर बरसा दो
यमुना तट पर ,बंसी वट की,
बस थोड़ी सी छैया दे दो
राधा के संग रास रचाते
दर्शन ,कृष्ण कन्हैया दे दो
माटी खाते , मुंह खुलवाते,
तीन लोक की छवि दिखला दो
चोरी-चोरी ,हंडिया फोड़ी,
बस उसका मक्खन चखवा दो
कान उमेठ, पेड़ से बांधे ,
मुझे जसोदा मैया दे दो
राधा के संग रास रचाते ,
दर्शन कृष्ण कन्हैया दे दो
बृज कानन में, मुरली की धुन,
मुझको भी पड़ जाए सुनाई
धेनु चलाते, बस मिल जाए ,
कान्हा, दाऊ ,दोनों भाई
नन्हे बछड़े संग रंभाती
मुझको कपिला गैया दे दो
राधा के संग रास रचाते ,
दर्शन कृष्ण कन्हैया दे दो
बरसाने की राधा रानी ,
और गोकुल का कान्हा प्यारा
ठुमुक ठुमुक, चलता घर भर में
हृदय मोहता, नंददुलारा,
नजर बचाने , यशुमत मैया,
लेती हुई बलैया दे दो
राधा के संग रास रचाते
दर्शन कृष्ण कन्हैया दे दो
मदन मोहन बाहेती घोटू
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