मूषक चिंतन
जब मिष्ठान का प्रेमी मूषक ,
चोरी चोरी कुतर कुतर कर खाने की,
अपनी आदत को छोड़ ,
अपने स्वामी के चरणों पर चढ़ाए गए,
मोदक के थाल की सुरक्षा में तत्पर होकर, अनुशासन में बंध जाता है
तो गणेश जी के वाहन
बनने का हकदार हो जाता है
अपने व्यक्तिगत लाभ
या लालसा को पूरी करने की उत्कंठा
जब कर्तव्य परायणता में बदल जाती है
तो वह तुम्हें अपनी पीठ पर,
गणेश जी को बैठाने की योग्यता दिलवाती है
तो ए मेरे देश के नेताओं,
तुम भी मूषक सा बन जाओ
अपने देश की व्यवस्थाओं को कुतर कुतर कर, खोखला मत करो बल्कि
लोभ और लालच को त्याग,
अपने देश और देशवासियों की,
सुरक्षा के लिए तत्पर हो जाओ
और देश के गणराज्य में ,
गणपति का वाहन कहलाने का सम्मान पाओ
अपने व्यक्तित्व में इतना निखार लाओ
सबके इतने विश्वास पात्र बन जाओ
कि लोग अपने मन की बात
तुम्हारे कानों में विश्वास से कह कर
गणपति तक पहुंचा सके
तुम भी गणेश जी का विश्वास पा लोगे
अगर अपने आचरण में
मूषक तत्व जगा लोगे
मदन मोहन बाहेती घोटू
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