गुंजाइश
१
मुफ्त की दावत में उनने देखे इतने आइटम ,
भर लिया उनने लबालब खाना इतना प्लेट में
और जब खाने लगे तो इतना ज्यादा खा लिया
पानी पीने की भी गुंजाइश बची ना पेट में
२
इतनी पतली मोहरी की जीन्स टाइट का चलन ,
बैठे ,उठते जोर लगता ,घुटनो से जाती है फट
इसलिए ही फटी जीने आ गयी फैशन में है ,
पहनने और चलने उठने में है मिलती सहूलियत
३
सिलवाती जब कुशल गृहणी ब्लाउज या कुर्तियां ,
नाप में वो रखवाती है ,थोड़ी गुंजाइश सदा
जिससे यदि जो बदन फूले ,थोड़े टाँके हटा कर ,
काम में आ सके कपडा ,हो के फिट ,बाकायदा
४
जहाँ नाडा या इलास्टिक लाया जाता काम में ,
रहती उन कपड़ों में गुंजाईश की गुंजाईश सदा
कभी भी जिद ठान करके ,अकड़ना अच्छा नहीं ,
समझौते की मन में रखना चाहिए ख्वाइश सदा
५
रेल का डिब्बा खचाखच ,है मुसाफिर से भरा ,
भीड़ इतनी कि नहीं है ,तिल भी रखने की जगह
स्टेशन पर चार चढ़ते ,हो जाते एडजस्ट है ,
थोड़ी गुंजाईश हमेशा रखो दिल में इस तरह
६
किसी से भी दुश्मनी यदि हो गयी कोई वजह ,
नहीं सख्ती ,लचीलापन हो सदा व्यवहार में
दोस्ती की फिर से गुंजाईश भी रखना चाहिए ,
क्या पता कब दुश्मनी जाए बदल फिर प्यार में
७
मारती थी डींग कॉलेज की वो लड़की गर्व से ,
सात उसके फ्रेंड है और सारा कॉलेज है फ़िदा
हमने बोला द्रोपदी से आगे हो तुम दो कदम ,,
और भी क्या एक की ,गुंजाईश है हमको बता
मदन मोहन बहती 'घोटू '
१
मुफ्त की दावत में उनने देखे इतने आइटम ,
भर लिया उनने लबालब खाना इतना प्लेट में
और जब खाने लगे तो इतना ज्यादा खा लिया
पानी पीने की भी गुंजाइश बची ना पेट में
२
इतनी पतली मोहरी की जीन्स टाइट का चलन ,
बैठे ,उठते जोर लगता ,घुटनो से जाती है फट
इसलिए ही फटी जीने आ गयी फैशन में है ,
पहनने और चलने उठने में है मिलती सहूलियत
३
सिलवाती जब कुशल गृहणी ब्लाउज या कुर्तियां ,
नाप में वो रखवाती है ,थोड़ी गुंजाइश सदा
जिससे यदि जो बदन फूले ,थोड़े टाँके हटा कर ,
काम में आ सके कपडा ,हो के फिट ,बाकायदा
४
जहाँ नाडा या इलास्टिक लाया जाता काम में ,
रहती उन कपड़ों में गुंजाईश की गुंजाईश सदा
कभी भी जिद ठान करके ,अकड़ना अच्छा नहीं ,
समझौते की मन में रखना चाहिए ख्वाइश सदा
५
रेल का डिब्बा खचाखच ,है मुसाफिर से भरा ,
भीड़ इतनी कि नहीं है ,तिल भी रखने की जगह
स्टेशन पर चार चढ़ते ,हो जाते एडजस्ट है ,
थोड़ी गुंजाईश हमेशा रखो दिल में इस तरह
६
किसी से भी दुश्मनी यदि हो गयी कोई वजह ,
नहीं सख्ती ,लचीलापन हो सदा व्यवहार में
दोस्ती की फिर से गुंजाईश भी रखना चाहिए ,
क्या पता कब दुश्मनी जाए बदल फिर प्यार में
७
मारती थी डींग कॉलेज की वो लड़की गर्व से ,
सात उसके फ्रेंड है और सारा कॉलेज है फ़िदा
हमने बोला द्रोपदी से आगे हो तुम दो कदम ,,
और भी क्या एक की ,गुंजाईश है हमको बता
मदन मोहन बहती 'घोटू '
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" रविवार 04 अप्रैल 2021 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
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