एक सन्देश-

यह ब्लॉग समर्पित है साहित्य की अनुपम विधा "पद्य" को |
पद्य रस की रचनाओ का इस ब्लॉग में स्वागत है | साथ ही इस ब्लॉग में दुसरे रचनाकारों के ब्लॉग से भी रचनाएँ उनकी अनुमति से लेकर यहाँ प्रकाशित की जाएँगी |

सदस्यता को इच्छुक मित्र यहाँ संपर्क करें या फिर इस ब्लॉग में प्रकाशित करवाने हेतु मेल करें:-
kavyasansaar@gmail.com
pradip_kumar110@yahoo.com

इस ब्लॉग से जुड़े

शनिवार, 3 अप्रैल 2021

हुस्न और इश्क

मूड का इन हुस्न वालों का भरोसा कुछ नहीं ,
मेहरबां हो जाए कब और कब खफा हो जाए ये
आप करते ही रहो ,इनसे गुजारिश प्यार की ,
और तुमको भाव ना दें ,बेवफ़ा हो जाएँ ये
आप उनको पटाने की लाख कोशिश कीजिये ,
फेर लेंगे मुंह कभी और कभी झट पट जायेंगे
तीखे तेवर दिखाएंगे ,कभी होकर के ख़फ़ा ,
और कभी मासूम बन के ,भोलापन दिखलायेंगे
पेशकश तुम ये करो ,आ जाओ उनके काम में ,
वो कहें घर पड़ा गंदा ,झाड़ू पोंछा मार दो
सिंक में कुछ जूठे बर्तन ,पड़े उनको मांज कर ,
कमरा गंदा पड़ा उसकी हुलिया  सुधार दो
सोचा था दिल लगाएंगे ,लग गए पर काम में ,
नालायक और  लालची ये मन नहीं पर मानता
बाँध कर के कितनी ही उम्मीद तुम उनसे रखो ,
ऊँट किस करवट पे बैठेगा न कोई  जानता
घास डालो गाय को तुम दूहने की चाह में ,
क्या पता जाए बिगड़ और सींग तुमको मार दे
दूल्हा बन कर चाव से ,घोड़ी पे तुम चढ़ने लगो ,,
बिदके घोड़ी ,गिरा तुमको ,हुलिया बिगाड़ दे
इसलिए बेहतर है सर से भूत उतरे इश्क़ का ,
आरजू पूरी न होती ,दुखता है ये जी बहुत
ना भरोसा मिले मंजिल ,डूबे या मंझधार में ,
हसीनो की सोहबत ,पड़ सकती है मंहंगी बहुत
प्यार जो करते है उनको झेलना पड़ता है सब ,
शादी के पहले भी या फिर शादी के पश्चात भी
ये है ऐसा चक्र जिसमे फंस कर खुशियां भी मिले ,
और दुखी हो ,पड़े करना ,तुमको पश्चाताप भी

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।

हलचल अन्य ब्लोगों से 1-