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सोमवार, 12 अप्रैल 2021

तुम मुझे मंजूर हो

चाँद का टुकड़ा नहीं ,जन्नत की ना तुम हूर हो
यार तुम ,जैसी भी हो,जो हो,मुझे मंजूर हो

रूप परियों सा नहीं तो मेरे मन में गम नहीं
सच्चे दिल से चाहती हो ,तुम मुझे ये कम नहीं
तुममे अपनापन है ,मन में समर्पण का भाव है
गरिमा व्यक्तित्व में  है , सोच में ठहराव है
ना सुरा ना जाम तुम पर नशे से भरपूर हो
यार तुम जैसी भी हो ,जो हो ,मुझे मंजूर हो

 गुलाबों की नहीं रंगत बदन में ,पर महक तो है
लरजते इन लबों पर पंछियों  जैसी ,चहक तो है
तेरी आँखों में तारों सी ,चमक है ,जगमगाहट है
छुवन में प्यार, उल्फत की ,गर्मजोशी की आहट है
तुम बसी हो दिल में मेरे , मेरे मन का नूर हो
यार तुम ,जैसी भी  हो ,जो हो ,मुझे मंजूर हो
 
मदन मोहन बाहेती'घोटू '

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