एक सवैया -हिरण हो गया
नैन बसी सुन्दर छवि रमणी की ,हिरणी से नैन ,रूप मतवारो
हिरन हुई सब चाह ,लोग जब ,समझायो भेद हिरण को सारो
स्वरण हिरण पीछे गए राम जी ,इहाँ रावण सीता हर डारो
काले हिरण की चाह के कारण ,जेल गयो ,सलमान बिचारो
घोटू
नैन बसी सुन्दर छवि रमणी की ,हिरणी से नैन ,रूप मतवारो
हिरन हुई सब चाह ,लोग जब ,समझायो भेद हिरण को सारो
स्वरण हिरण पीछे गए राम जी ,इहाँ रावण सीता हर डारो
काले हिरण की चाह के कारण ,जेल गयो ,सलमान बिचारो
घोटू
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