सम्भावनाये
१
बड़े अरमान से बेटे की ,शादी सब किया करते ,
मगर ये जिंदगी का रुख किधर भी मोड़ सकती है
भाग्य पे होता ये निर्भर कि मिलती है बहू कैसी ,
अगर मिल जाए अच्छी तो वो रिश्ते जोड़ सकती है
सपन जो पोती पोते को ,खिलाओगे तुम गोदी में ,
भरे अरमान जो मन में ,वो सपने तोड़ सकती है
बुढ़ापे में सहारे को ,बनेगा बेटा एक लाठी ,
उसी लाठी से तुम्हारा ,वो सर भी फोड़ सकती है
२
कभी भी मत रखो ज्यादा ,किसी से आस तुम कोई ,
अपेक्षा जब ,उपेक्षा बनती है, दिल टूट जाता है
बसा लेता वो घर अपना ,अलग तुमको या कर देता ,
तुम्हारा लाडला बेटा ,तुम्ही से रूठ जाता है
यूं खट कर जो कमाते हो ,बचत खुद पर खपत करदो ,
नहीं तो वक़्त का डाकू ,सभी कुछ लूट जाता है
जब जाओगे इस दुनिया से ,नहीं कुछ साथ जाएगा ,
रहेंगे हाथ खाली ,सब यहीं पर छूट जाता है
घोटू
१
बड़े अरमान से बेटे की ,शादी सब किया करते ,
मगर ये जिंदगी का रुख किधर भी मोड़ सकती है
भाग्य पे होता ये निर्भर कि मिलती है बहू कैसी ,
अगर मिल जाए अच्छी तो वो रिश्ते जोड़ सकती है
सपन जो पोती पोते को ,खिलाओगे तुम गोदी में ,
भरे अरमान जो मन में ,वो सपने तोड़ सकती है
बुढ़ापे में सहारे को ,बनेगा बेटा एक लाठी ,
उसी लाठी से तुम्हारा ,वो सर भी फोड़ सकती है
२
कभी भी मत रखो ज्यादा ,किसी से आस तुम कोई ,
अपेक्षा जब ,उपेक्षा बनती है, दिल टूट जाता है
बसा लेता वो घर अपना ,अलग तुमको या कर देता ,
तुम्हारा लाडला बेटा ,तुम्ही से रूठ जाता है
यूं खट कर जो कमाते हो ,बचत खुद पर खपत करदो ,
नहीं तो वक़्त का डाकू ,सभी कुछ लूट जाता है
जब जाओगे इस दुनिया से ,नहीं कुछ साथ जाएगा ,
रहेंगे हाथ खाली ,सब यहीं पर छूट जाता है
घोटू
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।