कोरोना पर घोटू का एक पद
माई री मोहे बहुत सतायो कोरोना
मोसे कहत ,रहो घर में ही ,बाहर घूमो फिरो ना
मुख से छीनी ,गरम जलेबी अरु रबड़ी का दोना
कामधाम तज ,पड़े निठल्ले ,दिन भर घर में सोना
आलस के वश ,फूल गया है ,तन का कोना कोना
परेशान सब ,कंवारे बेचारे ,ना शादी ना गौना
मुख पर पट्टी ,गज भर दूरी ,बस रोना ही रोना
कह 'घोटू' कवि ,तंग हुए सब ,अब तो मुक्ति दो ना
घोटू
माई री मोहे बहुत सतायो कोरोना
मोसे कहत ,रहो घर में ही ,बाहर घूमो फिरो ना
मुख से छीनी ,गरम जलेबी अरु रबड़ी का दोना
कामधाम तज ,पड़े निठल्ले ,दिन भर घर में सोना
आलस के वश ,फूल गया है ,तन का कोना कोना
परेशान सब ,कंवारे बेचारे ,ना शादी ना गौना
मुख पर पट्टी ,गज भर दूरी ,बस रोना ही रोना
कह 'घोटू' कवि ,तंग हुए सब ,अब तो मुक्ति दो ना
घोटू
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।