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सोमवार, 24 जून 2019

गुजरे दिन

अब दीवारें फांदने के दिन गये
हसीनो को साधने के दिन गये गये

हुआ जो तुमको किसी से प्यार है
पहुँचने के लिए घर का द्वार  है
खिड़कियों से झाँकने के दिन गये
अब दीवारें फांदने के दिन गये

ढला ही करती सभी की उमर है
दिल का आना पर न कोई जुरम है
प्यार के अधिकार तो ना  छिन  गये
अब दीवारें फांदने के दिन गये

सब के मन में मचलता रोमांस है
हरेक को पर नहीं मिलता चांस है
ढूंढ लो तुम,मिलन के पल छिन नये
अब दीवारें फांदने के दिन गये

खुल अब ना खेलने  की है उमर
मिले जितना ,करो उससे ही सबर
अब छलांगे मारने के दिन गये
अब दीवारें फांदने के दिन गये

घोटू 

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