इज्जत
किसी ने मुझसे पूछा यार ये इज्जत क्या है
सभी की नाक में दम ,इसने कर के रख्खा है
कहा हमने किसी के, जब भी छुए जाते चरण
इसका मतलब है कि उसकी इज्जत करते हम
कोई धनवान है तो उसकी बड़ी इज्जत है
कोई बलवान है तो उसकी बड़ी इज्जत है
कोई सत्ता में है तो लोग करते है इज्जत
कोई को दिलवाता इज्जत है उसका ऊंचा पद
देश की इज्जत को सैनिक शहीद हो जाते
बढ़ती इज्जत ,खिलाड़ी ,जीत पदक जब लाते
किसीको सर झुकाओ ,नमस्कार प्रणाम करो
कहो आदाब अर्ज ,झुक के या सलाम करो
ये तो इज्जत के प्रदर्शन के सब तरीके है
जो कि सब हमने अपने बुजुर्गों से सीखे है
ये इज्जत क्या है और ये रहती कहाँ पर है
किसी के सर की पगड़ी इज्जत का उसकी घर है
कोई की नाक ऊंची ,याने कि इज्जत उसकी
गयी इज्जत तो समझो नाक कट गयी उसकी
कभी घटती है इज्जत तो नज़र झुक जाती
पकड़ के कान ,बनो मुर्गा तो इज्जत जाती
कोई की इज्जत उसकी मूछों में नज़र आती
मूंछ बाल हुआ बांका ,इज्जत घट जाती
टेकना घुटने ,किसी आगे ,घटाता इज्जत
आपके हाथों में रहती है आपकी इज्जत
आपके वस्त्र भी इज्जत को ढका करते है
गलती की ,दाग फिर इज्जत पे लगा करते है
काम अच्छे करो ,इज्जत कमाई जाती है
गलत हो काम तो इज्जत गमाई जाती है
कहीं नीलाम होती और कहीं बेचीं जाती
धूल हो जाती कहीं मिट्टी में ये मिल जाती
जरा सी भूल से इज्जत पे बट्टा लग जाता
डूब जाती है या फिर उसपे पानी फिर जाता
कभी उतारी कभी लूटी जाती है इज्जत ,
ये घटित होता है माँ और बहनो संग जब तब
फेल बेटा हुआ ,माँ बाप की इज्जत जाती
अच्छे कॉलेज में पढता है तो इज्जत आती
ये इज्जत अहम् है ,व्यवहार की प्रक्रिया है
बड़ा मुश्किल है समझना कि ये इज्जत क्या है
छोड़ दो शान झूठी ,जड़ है जो फ़जीहत की
चैन से जियो ,खाओ ,दाल रोटी इज्जत की
मदन मोहन बाहेती ;घोटू '
किसी ने मुझसे पूछा यार ये इज्जत क्या है
सभी की नाक में दम ,इसने कर के रख्खा है
कहा हमने किसी के, जब भी छुए जाते चरण
इसका मतलब है कि उसकी इज्जत करते हम
कोई धनवान है तो उसकी बड़ी इज्जत है
कोई बलवान है तो उसकी बड़ी इज्जत है
कोई सत्ता में है तो लोग करते है इज्जत
कोई को दिलवाता इज्जत है उसका ऊंचा पद
देश की इज्जत को सैनिक शहीद हो जाते
बढ़ती इज्जत ,खिलाड़ी ,जीत पदक जब लाते
किसीको सर झुकाओ ,नमस्कार प्रणाम करो
कहो आदाब अर्ज ,झुक के या सलाम करो
ये तो इज्जत के प्रदर्शन के सब तरीके है
जो कि सब हमने अपने बुजुर्गों से सीखे है
ये इज्जत क्या है और ये रहती कहाँ पर है
किसी के सर की पगड़ी इज्जत का उसकी घर है
कोई की नाक ऊंची ,याने कि इज्जत उसकी
गयी इज्जत तो समझो नाक कट गयी उसकी
कभी घटती है इज्जत तो नज़र झुक जाती
पकड़ के कान ,बनो मुर्गा तो इज्जत जाती
कोई की इज्जत उसकी मूछों में नज़र आती
मूंछ बाल हुआ बांका ,इज्जत घट जाती
टेकना घुटने ,किसी आगे ,घटाता इज्जत
आपके हाथों में रहती है आपकी इज्जत
आपके वस्त्र भी इज्जत को ढका करते है
गलती की ,दाग फिर इज्जत पे लगा करते है
काम अच्छे करो ,इज्जत कमाई जाती है
गलत हो काम तो इज्जत गमाई जाती है
कहीं नीलाम होती और कहीं बेचीं जाती
धूल हो जाती कहीं मिट्टी में ये मिल जाती
जरा सी भूल से इज्जत पे बट्टा लग जाता
डूब जाती है या फिर उसपे पानी फिर जाता
कभी उतारी कभी लूटी जाती है इज्जत ,
ये घटित होता है माँ और बहनो संग जब तब
फेल बेटा हुआ ,माँ बाप की इज्जत जाती
अच्छे कॉलेज में पढता है तो इज्जत आती
ये इज्जत अहम् है ,व्यवहार की प्रक्रिया है
बड़ा मुश्किल है समझना कि ये इज्जत क्या है
छोड़ दो शान झूठी ,जड़ है जो फ़जीहत की
चैन से जियो ,खाओ ,दाल रोटी इज्जत की
मदन मोहन बाहेती ;घोटू '
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