भूटान में
मैं तुम्हे क्या बताऊँ ,भूटान में क्या है
उन हरी भरी पहाड़ियों का ,अपना ही मज़ा है
वो प्रकृति के उरस्थल पर ,उन्नत उन्नत शिखर
जिनके सौंदर्य का रसपान ,मैंने किया है जी भर
उन उन्नत शिलाखंडों में शिलाजीत तो नहीं मिल पायी
पर उनके सानिध्य मात्र से, मिली एक ऊर्जा सुखदायी
मैं आज भी उन पहाड़ों के स्पंदन को महसूस करता हूँ
और प्रसन्नता से सरोबार होकर ,
फिर से उन घाटियों में विचरता हूँ
जी करता है कि मैं मधुमक्खी की तरह उड़ कर,
फिर से लौट जाऊं उन शिखरों पर
और वहां खिले हुए फूलों का रसपान कर लू
और मीठी यादों का ,ढेर सारा मधु ,
अपने दिल में भर लू
वहां की हवाओं की सौंधी सौंधी खुशबू,
आज भी मेरे नथुनों में बसी हुई है
वो नीले नीले पुष्पों की सेज ,
आज भी मेरे सपनो में सजी हुई है
जैसे गूंगे को ,गुड़ का स्वाद बताना मुश्किल है
वैसे ही मुझे भी ,वहां की याद भुलाना मुश्किल है
घोटू
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