क्षणिकाएं
१
वो अपनी हठधर्मी को अनुशासन कहते है
उनके लगाए प्रतिबंध ,उनके सिद्धांत रहते है
हमारा अपनी मर्जी से जीना ,कहलाता उच्श्रृंखलता है
ये हमे खलता है
२
इसे आत्मनिर्भरता कहे या स्वार्थ ,
या अपना हाथ,जगन्नाथ
बिना दुसरे की सहायता के ,
जब अपनी तस्वीरें ,
अपनी मरजी मुताबिक़ खींची जाती है
'सेल्फी' कहलाती है
३
समय है ,सबसे बड़ा 'कोरियोग्राफर'
जो सबको नचाता है,अपने इशारों पर
४
गुस्से सी ,समंदर की लहरें ,
जब उमड़ती हुई आती है
किनारे पर ,शांत पड़ी हुई ,
सारी अच्छाइयों को भी ,बहा ले जाती है
घोटू
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