उलझन
बाले , तेरे बाल जाल में , उलझ गए है मेरे नैना
इसीलिये श्रृंगार समय तुम उलझी लट सुलझा मत लेना
अगर लगा कर कोई प्रसाधन ,धोवो और संवारो जब तुम,
बहुत मुलायम और रेशमी ,होकर सभी निखर जाएंगे
इन्हें सुखाने,निज हाथों से ,लिए तोलिया ,जब झटकोगी ,
एक एक कर ,जितने भी है,मोती सभी ,बिखर जाएंगे
कुछ तो गालों को चूमेंगे ,कुछ बिखरें तुम्हारे तन पर ,
किन्तु बावरे मेरे नैना ,इन्हे फिसलने, तुम देना मत
क्योकि देर तक साथ तुम्हारा ,इन्हे उलझने में मिलता है ,
कंचन तन पर फिसल गए तो ,बिगड़ जाएगी इनकी आदत
ये भोले है,ये क्या जाने ,उलझन का आनंद अलग है ,
कोई उलझ उलझ कर ही तो,अधिक देर तक ,रहता टिक है
चुंबन हो कोमल कपोल का, या सहलाना कंचन काया ,
होता बहुत अधिक रोमांचक ,लेकिन वह सुख ,बड़ा क्षणिक है
इसीलिये जब लट सुलझाओ ,अपने मन की कंघी से तुम,
इनको जैसे तैसे करके ,अपने पास रोक तुम लेना
बाले,तेरे बाल जाल में ,उलझ गए है मेरे नैना
इसीलिये श्रृंगार समय तुम ,उलझी लट सुलझा मत लेना
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
बाले , तेरे बाल जाल में , उलझ गए है मेरे नैना
इसीलिये श्रृंगार समय तुम उलझी लट सुलझा मत लेना
अगर लगा कर कोई प्रसाधन ,धोवो और संवारो जब तुम,
बहुत मुलायम और रेशमी ,होकर सभी निखर जाएंगे
इन्हें सुखाने,निज हाथों से ,लिए तोलिया ,जब झटकोगी ,
एक एक कर ,जितने भी है,मोती सभी ,बिखर जाएंगे
कुछ तो गालों को चूमेंगे ,कुछ बिखरें तुम्हारे तन पर ,
किन्तु बावरे मेरे नैना ,इन्हे फिसलने, तुम देना मत
क्योकि देर तक साथ तुम्हारा ,इन्हे उलझने में मिलता है ,
कंचन तन पर फिसल गए तो ,बिगड़ जाएगी इनकी आदत
ये भोले है,ये क्या जाने ,उलझन का आनंद अलग है ,
कोई उलझ उलझ कर ही तो,अधिक देर तक ,रहता टिक है
चुंबन हो कोमल कपोल का, या सहलाना कंचन काया ,
होता बहुत अधिक रोमांचक ,लेकिन वह सुख ,बड़ा क्षणिक है
इसीलिये जब लट सुलझाओ ,अपने मन की कंघी से तुम,
इनको जैसे तैसे करके ,अपने पास रोक तुम लेना
बाले,तेरे बाल जाल में ,उलझ गए है मेरे नैना
इसीलिये श्रृंगार समय तुम ,उलझी लट सुलझा मत लेना
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
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