जो माँ का प्यार ना मिलता
जो माँ का प्यार ना मिलता ,तो हम जो हैं ,वो ना होते
पिता की डाट ना पाते ,तो हम जो हैं ,वो ना होते
हमें माँ ने ही पैरों पर,खड़े होना सिखाया है
हमारी थाम कर ऊँगली ,सही रस्ता दिखाया है
आये जब आँख में आंसूं ,तो आँचल से सुखाया है
सोई गीले में खुद,सूखे में ,पर हमको सुलाया है
जरा सा हम टसकते थे ,तो वो बेचैन होती थी
हमें तकलीफ होती थी ,दुखी होकर वो रोती थी
पिलाया दूध छाती से ,हमें पाला ,किया पोषण
रखा चिपटा के सीने से ,हमारा ख्याल रख हर क्षण
पुष्प ममता का ना खिलता ,तो हम जो है ,वो ना होते
जो माँ का प्यार ना मिलता ,तो हम जो है ,वो ना होते
पिताजी प्यार करते पर ,अलग अंदाज था उनका
डरा करते से हम उनसे और चलता राज था उनका
वो बाहर सख्त नारियल थे,मगर अंदर मुलायम थे
बड़ा था संतुलित जीवन ,महकते जैसे चन्दन थे
उन्ही का आचरण ,व्यवहार ,हरदम कुछ सिखाता था
उन्ही का सख्त अनुशासन ,भटकने से बचाता था
उन्होंने धर्म ,धीरज की ,हमें शिक्षा सिखाई थी
लक्ष्य पाने को जीवन का ,राह उनने बताई थी
अगर वो पाठ ना पाते ,तो हम जो है ,वो ना होते
पिता की डाट ना पाते ,तो हम जो है ,वो ना होते
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'
जो माँ का प्यार ना मिलता ,तो हम जो हैं ,वो ना होते
पिता की डाट ना पाते ,तो हम जो हैं ,वो ना होते
हमें माँ ने ही पैरों पर,खड़े होना सिखाया है
हमारी थाम कर ऊँगली ,सही रस्ता दिखाया है
आये जब आँख में आंसूं ,तो आँचल से सुखाया है
सोई गीले में खुद,सूखे में ,पर हमको सुलाया है
जरा सा हम टसकते थे ,तो वो बेचैन होती थी
हमें तकलीफ होती थी ,दुखी होकर वो रोती थी
पिलाया दूध छाती से ,हमें पाला ,किया पोषण
रखा चिपटा के सीने से ,हमारा ख्याल रख हर क्षण
पुष्प ममता का ना खिलता ,तो हम जो है ,वो ना होते
जो माँ का प्यार ना मिलता ,तो हम जो है ,वो ना होते
पिताजी प्यार करते पर ,अलग अंदाज था उनका
डरा करते से हम उनसे और चलता राज था उनका
वो बाहर सख्त नारियल थे,मगर अंदर मुलायम थे
बड़ा था संतुलित जीवन ,महकते जैसे चन्दन थे
उन्ही का आचरण ,व्यवहार ,हरदम कुछ सिखाता था
उन्ही का सख्त अनुशासन ,भटकने से बचाता था
उन्होंने धर्म ,धीरज की ,हमें शिक्षा सिखाई थी
लक्ष्य पाने को जीवन का ,राह उनने बताई थी
अगर वो पाठ ना पाते ,तो हम जो है ,वो ना होते
पिता की डाट ना पाते ,तो हम जो है ,वो ना होते
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'
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