एक सन्देश-

यह ब्लॉग समर्पित है साहित्य की अनुपम विधा "पद्य" को |
पद्य रस की रचनाओ का इस ब्लॉग में स्वागत है | साथ ही इस ब्लॉग में दुसरे रचनाकारों के ब्लॉग से भी रचनाएँ उनकी अनुमति से लेकर यहाँ प्रकाशित की जाएँगी |

सदस्यता को इच्छुक मित्र यहाँ संपर्क करें या फिर इस ब्लॉग में प्रकाशित करवाने हेतु मेल करें:-
kavyasansaar@gmail.com
pradip_kumar110@yahoo.com

इस ब्लॉग से जुड़े

बुधवार, 20 जनवरी 2016

वाह वाही

         वाह वाही

मैंने कुछ अर्ज किया ,तुमने वाह वाह किया ,
तबज्जो जब कि दी बिलकुल भी नहीं गैरों ने
बताना सच कि तूने दोस्ती निभाई सिरफ़ , 
या असल में भी था , दम कोई  मेरे  शेरों  में
ये तेरी तारीफे ,दुश्मन मेरी बड़ी निकली ,
तेरी वाह वाही ने  , रख्खा मुझे  अंधेरों में
पता लगा ये ,निकल आया जब मैं  महफ़िल से ,
मुशायरा लूट लिया ,और ही  लुटेरों ने

घोटू 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।

हलचल अन्य ब्लोगों से 1-