एक सन्देश-

यह ब्लॉग समर्पित है साहित्य की अनुपम विधा "पद्य" को |
पद्य रस की रचनाओ का इस ब्लॉग में स्वागत है | साथ ही इस ब्लॉग में दुसरे रचनाकारों के ब्लॉग से भी रचनाएँ उनकी अनुमति से लेकर यहाँ प्रकाशित की जाएँगी |

सदस्यता को इच्छुक मित्र यहाँ संपर्क करें या फिर इस ब्लॉग में प्रकाशित करवाने हेतु मेल करें:-
kavyasansaar@gmail.com
pradip_kumar110@yahoo.com

इस ब्लॉग से जुड़े

बुधवार, 6 जनवरी 2016

दास्ताने मख्खी

         दास्ताने मख्खी

एक मख्खी ,
जो नंगे पैरों ,
गाँव की गलियों में खेली थी
जिसकी बीसियों सहेली थी
एक दिन खेलती खेलती ,
एक  खड़ी हुई कार में गई चली  
खुशबूमय स्वच्छ वातावरण देख ,
 हो गई बावली
नरम नरम सीटों पर ,
बैठ कर इतराई
उछली,कूदी,सहेलियों ने बुलाया ,
बाहर ना आयी
अचानक कार चली
मच गयी खलबली
संकुचित सी जगह में ,
इधर उधर भागी
पर रही अभागी
परेशान कार के मालिक ने ,
थोड़ा सा शीशा उठा भर दिया
और बीच सड़क पर ,
उसे कार से बाहर कर दिया
अब वह बीच जंगल में ,
अकेली भटक रही है
कोई साथी संगी नहीं है
बेचारी ,जो दीवानी थी ठाठ की
ना घर की रही ,न घाट  की

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।

हलचल अन्य ब्लोगों से 1-