नाम कम्बल होता है
लड़ाई लड़ता है सैनिक,जान पर खेल कर अपनी ,
मगर जब जीत होती है ,नाम 'जनरल 'का होता है
रोज खटता है ,मेहनत कर ,कमाई मर्द करता है ,
मगर घर को चलाने में ,नाम औरत का होता है
सिरफ़ ये रोकते है ,गर्मी बाहर जा नहीं सकती ,
मगर इस पहरे दारी का ,उठाते फायदा पूरा ,
हमारे जिस्म की गर्मी ,हमीं को गर्म रखती है,
मगर सरदी बचाने में ,नाम कम्बल का होता है
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'
लड़ाई लड़ता है सैनिक,जान पर खेल कर अपनी ,
मगर जब जीत होती है ,नाम 'जनरल 'का होता है
रोज खटता है ,मेहनत कर ,कमाई मर्द करता है ,
मगर घर को चलाने में ,नाम औरत का होता है
सिरफ़ ये रोकते है ,गर्मी बाहर जा नहीं सकती ,
मगर इस पहरे दारी का ,उठाते फायदा पूरा ,
हमारे जिस्म की गर्मी ,हमीं को गर्म रखती है,
मगर सरदी बचाने में ,नाम कम्बल का होता है
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'
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