बड़े कैसे बनते हैं
सबसे पहले अपनी दाल गलानी पड़ती ,
और फिर मेहनत करना और पिसना पड़ता है
दुनियादारी की कढ़ाई के गरम तेल में,
धीरे धीरे फिर हमको तलना पड़ता है
फिर जाकर मिलती है कुछ पानी की ठंडक,
उसमे से भी निकल, निचुड़ना फिर पड़ता है
तब मिलती है हमे दही की क्रीमी लेयर ,
मीठी चटनी और मसाला भी पड़ता है
जीवन में कितनी ही मेहनत करनी पड़ती ,
तब जाकर के कहीं बड़े हम बन पाते है
कोई दहीबड़े कहता है कोई भल्ले ,
और हमारे बल्ले बल्ल हो जाते है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
सबसे पहले अपनी दाल गलानी पड़ती ,
और फिर मेहनत करना और पिसना पड़ता है
दुनियादारी की कढ़ाई के गरम तेल में,
धीरे धीरे फिर हमको तलना पड़ता है
फिर जाकर मिलती है कुछ पानी की ठंडक,
उसमे से भी निकल, निचुड़ना फिर पड़ता है
तब मिलती है हमे दही की क्रीमी लेयर ,
मीठी चटनी और मसाला भी पड़ता है
जीवन में कितनी ही मेहनत करनी पड़ती ,
तब जाकर के कहीं बड़े हम बन पाते है
कोई दहीबड़े कहता है कोई भल्ले ,
और हमारे बल्ले बल्ल हो जाते है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।