पटाया माँ को कैसे था
थे छोटे हम ,पिताजी से ,डरा करते थे तब इतना ,
कभी भी सामने उनके ,न अपना सर उठाया था
और ये आज के बच्चे, हुए 'मॉडर्न' है इतने ,
पिता से पूछते है ,'मम्मी' को ,कैसे पटाया था
न 'इंटरनेट'होता था,न ही 'व्हाट्सऐप'होता था,
तो फिर मम्मी से तुम कैसे,कभी थे 'चेट' कर पाते
सुना है उस जमाने में,शादी से पहले मिलने पर,
बड़ा प्रतिबन्ध होता था,आप क्या 'डेट'पर जाते
बड़े 'हेण्डसम 'अब भी हो,जवानी में लड़कियों पर,
बड़ा ढाते सितम होगे,उस समय जब कंवारे थे
'फ्रेंकली'बात ये सच्ची ,बताना हमको डैडी जी ,
माँ ने लाइन मारी थी ,या तुम लाइन मारे थे
कहा डैडी ने ये हंस कर ,थे सीधे और पढ़ाकू हम,
कहाँ हमको थी ये फुरसत ,किसी लड़की को हम देखें
तुम्हारी माँ थी सीधी पर ,तुम्हारे 'नाना' चालू थे ,
पटाया उनने 'दादा' को,'डोवरी 'मोटी सी देके
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
थे छोटे हम ,पिताजी से ,डरा करते थे तब इतना ,
कभी भी सामने उनके ,न अपना सर उठाया था
और ये आज के बच्चे, हुए 'मॉडर्न' है इतने ,
पिता से पूछते है ,'मम्मी' को ,कैसे पटाया था
न 'इंटरनेट'होता था,न ही 'व्हाट्सऐप'होता था,
तो फिर मम्मी से तुम कैसे,कभी थे 'चेट' कर पाते
सुना है उस जमाने में,शादी से पहले मिलने पर,
बड़ा प्रतिबन्ध होता था,आप क्या 'डेट'पर जाते
बड़े 'हेण्डसम 'अब भी हो,जवानी में लड़कियों पर,
बड़ा ढाते सितम होगे,उस समय जब कंवारे थे
'फ्रेंकली'बात ये सच्ची ,बताना हमको डैडी जी ,
माँ ने लाइन मारी थी ,या तुम लाइन मारे थे
कहा डैडी ने ये हंस कर ,थे सीधे और पढ़ाकू हम,
कहाँ हमको थी ये फुरसत ,किसी लड़की को हम देखें
तुम्हारी माँ थी सीधी पर ,तुम्हारे 'नाना' चालू थे ,
पटाया उनने 'दादा' को,'डोवरी 'मोटी सी देके
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
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