नदिया और जीवन
मैं ,बचपन में थी उच्श्रृंखल
बच्चों सी ,चंचल और चपल
पर्वतों से उतरते हुए ,
कुलांछे भरते हुए ,
जब जवानी के मैदानी इलाके में आई ,
इतराई
मेरी छाती चौड़ी होने लगी
और मैं कल कल करती हुई,
मंथर गति से बहने लगी
मेरी जीवन यात्रा इतनी सुगम नहीं थी
मेरे प्रवाह में कई मोड़ आये
कभी ढलान के हिसाब से बही ,
कभी कटाव काट कर,
अपने रस्ते खुद बनाये
लोगों ने मुझे बाँधा ,
मुझ पर बाँध बनाया
मुझसे ऊर्जा ली ,
नहरों से मेरा नीर चुराया
मेंरे आसपास ,अपना ठिकाना बनाया
मेरी छाती पर चढ़,
अपनी नैया को पार लगाया
किसी ने दीपदान कर ,
मुझे रोशन किया
किसी ने अपना सारा कचरा ,
मुझमे बहा दिया
कभी बादलों ने ,अपना नीर मुझ में उंढेला
मैंने झेला ,
मुझे बड़ा क्रोध भी आया
मैंने क्रोध की बाढ़ में ,कितनो को ही बहाया
मुझे पश्चाताप हुआ,मैं शांत हुई
और फिर आगे बढ़ती गयी
राह में कुछ मित्रों ने हाथ मिलाया
मेरे हमसफ़र बने
मेरी सहनशीलता और मिलनसारिता ,
मेरी विशालता का सहारा बने
आज मैं ,विशाल सी धारा के रूप में,
बाहर से शांत बहती हुई दिखती हूँ
पर मेरे अंतर्मन में ,है बड़ी हलचल
क्योंकि महासागर में,विलीन होने का ,
आनेवाला है पल
आज नहीं तो कल
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'
मैं ,बचपन में थी उच्श्रृंखल
बच्चों सी ,चंचल और चपल
पर्वतों से उतरते हुए ,
कुलांछे भरते हुए ,
जब जवानी के मैदानी इलाके में आई ,
इतराई
मेरी छाती चौड़ी होने लगी
और मैं कल कल करती हुई,
मंथर गति से बहने लगी
मेरी जीवन यात्रा इतनी सुगम नहीं थी
मेरे प्रवाह में कई मोड़ आये
कभी ढलान के हिसाब से बही ,
कभी कटाव काट कर,
अपने रस्ते खुद बनाये
लोगों ने मुझे बाँधा ,
मुझ पर बाँध बनाया
मुझसे ऊर्जा ली ,
नहरों से मेरा नीर चुराया
मेंरे आसपास ,अपना ठिकाना बनाया
मेरी छाती पर चढ़,
अपनी नैया को पार लगाया
किसी ने दीपदान कर ,
मुझे रोशन किया
किसी ने अपना सारा कचरा ,
मुझमे बहा दिया
कभी बादलों ने ,अपना नीर मुझ में उंढेला
मैंने झेला ,
मुझे बड़ा क्रोध भी आया
मैंने क्रोध की बाढ़ में ,कितनो को ही बहाया
मुझे पश्चाताप हुआ,मैं शांत हुई
और फिर आगे बढ़ती गयी
राह में कुछ मित्रों ने हाथ मिलाया
मेरे हमसफ़र बने
मेरी सहनशीलता और मिलनसारिता ,
मेरी विशालता का सहारा बने
आज मैं ,विशाल सी धारा के रूप में,
बाहर से शांत बहती हुई दिखती हूँ
पर मेरे अंतर्मन में ,है बड़ी हलचल
क्योंकि महासागर में,विलीन होने का ,
आनेवाला है पल
आज नहीं तो कल
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।