हुस्न और जवानी
जब हो जाता हुस्न जवां है
करता सबकी खुश्क हवा है
लोग बावरे से हो जाते ,
देख देख उसका जलवा है
सबकी नज़रें फिसला करती ,
देखा करती कहाँ कहाँ है
कई तमन्नाएँ जग जाती ,
और भड़क जाते अरमाँ है
जब सर पड़ती जिम्मेदारी ,
होते सारे ख्वाब हवा है
'घोटू'कोई तो बतला दे ,
दर्दे दिल की कौन दवा है
घोटू
जब हो जाता हुस्न जवां है
करता सबकी खुश्क हवा है
लोग बावरे से हो जाते ,
देख देख उसका जलवा है
सबकी नज़रें फिसला करती ,
देखा करती कहाँ कहाँ है
कई तमन्नाएँ जग जाती ,
और भड़क जाते अरमाँ है
जब सर पड़ती जिम्मेदारी ,
होते सारे ख्वाब हवा है
'घोटू'कोई तो बतला दे ,
दर्दे दिल की कौन दवा है
घोटू
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।