लड़ाई और प्यार
मिले थे पहली पहली बार जब हम एक दूजे से ,
प्यार का सिलसिला जागा ,नज़र हममें लड़ाई थी
लड़ा था पेंच हममें और तुममे ,डोर थी उलझी,
पतंगें ,हमने ,तुमने ,प्यार की मिलकर उड़ाई थी
हुई शादी ,लडाया लाड़ हमने थोड़े दिन तक तो,
हुआ करती थी कितनी बार फिर हममें लड़ाई थी
समर्पण तुम कभी करती,समर्पण मैं कभी करता ,
प्यार दूने से हमको जोड़ती,अपनी लड़ाई थी
हमारा रूठना और मनाना चलता ही रहता था ,
मोहब्बत जो मिठाई थी ,चाट जैसी लड़ाई थी
हमारे प्यार की मजबूत सी जो ये इमारत है,
हमें मालूम है,बुनियाद में ,इसकी लड़ाई थी
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
मिले थे पहली पहली बार जब हम एक दूजे से ,
प्यार का सिलसिला जागा ,नज़र हममें लड़ाई थी
लड़ा था पेंच हममें और तुममे ,डोर थी उलझी,
पतंगें ,हमने ,तुमने ,प्यार की मिलकर उड़ाई थी
हुई शादी ,लडाया लाड़ हमने थोड़े दिन तक तो,
हुआ करती थी कितनी बार फिर हममें लड़ाई थी
समर्पण तुम कभी करती,समर्पण मैं कभी करता ,
प्यार दूने से हमको जोड़ती,अपनी लड़ाई थी
हमारा रूठना और मनाना चलता ही रहता था ,
मोहब्बत जो मिठाई थी ,चाट जैसी लड़ाई थी
हमारे प्यार की मजबूत सी जो ये इमारत है,
हमें मालूम है,बुनियाद में ,इसकी लड़ाई थी
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
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