फादर'स डे पर-पिताजी से
आपने ऊँगली थामी ,
मैंने जीवनपथ पर चलना सीखा
आपने आँख दिखाई ,
मैंने अच्छा बुरा देखना सीखा
आपने कान मरोड़े ,
मैंने हर तरफ से चौकन्ना होना सीखा
आपने डाट लगाईं,
मैंने डट कर मुश्किलों का सामना करना सीखा
आपके हाथों ने कभी मेरे गालों को सहलाया था
तो कभी चपत भी लगाई है
आपकी ये छोटी छोटी शिक्षाये ही,
मेरे जीवन की सबसे बड़ी कमाई है
यूं भी मेरी रगों में,आपका ही खून ,
दौड़ता रहता दिन रात है
पर ये मैं ही जानता हूँ,कि मेरी सफलता में,
आपका कितना हाथ है
आपका प्यार और आशीर्वाद ,
मेरी सब से बड़ी दौलत है
मैं आज अपनी जिंदगी जो कुछ भी हूँ
सब आपकी बदौलत है
मदन मोहन बाहेती 'घोटू;
आपने ऊँगली थामी ,
मैंने जीवनपथ पर चलना सीखा
आपने आँख दिखाई ,
मैंने अच्छा बुरा देखना सीखा
आपने कान मरोड़े ,
मैंने हर तरफ से चौकन्ना होना सीखा
आपने डाट लगाईं,
मैंने डट कर मुश्किलों का सामना करना सीखा
आपके हाथों ने कभी मेरे गालों को सहलाया था
तो कभी चपत भी लगाई है
आपकी ये छोटी छोटी शिक्षाये ही,
मेरे जीवन की सबसे बड़ी कमाई है
यूं भी मेरी रगों में,आपका ही खून ,
दौड़ता रहता दिन रात है
पर ये मैं ही जानता हूँ,कि मेरी सफलता में,
आपका कितना हाथ है
आपका प्यार और आशीर्वाद ,
मेरी सब से बड़ी दौलत है
मैं आज अपनी जिंदगी जो कुछ भी हूँ
सब आपकी बदौलत है
मदन मोहन बाहेती 'घोटू;
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।