मूर्तियां
नरम मिट्टी,सही पानी और सही चिकनाई हो,
उँगलियों की कुशलता से,मिट्टी बनती मूर्तियां
सही हो साँचा अगर और गरम धातु पिघलती,
साँचे के ही मुताबिक़ है,सदा ढलती मूर्तियां
सही हो चट्टान,हाथों में हुनर ,छैनी सही,
हथोड़े की मार से भी है उकरती , मूर्तियां
अगर दिल में महोब्बत है और मिलन में ऊष्मा
प्यार के सच्चे मिलन से ,है जन्मती ,मूर्तियां
घोटू ,
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