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मंगलवार, 29 अप्रैल 2014

झुकना सीखो

            झुकना सीखो

जब फल लगते है तो डाल झुका करती है
कुवे में जा,झुकी  बाल्टी,जल   भरती   है
बिखरे हुए धरा पर हीरे ,माणिक ,नाना
पाना है तो झुक कर पड़ता उन्हें उठाना 
झुको,बड़ों के चरण छुओ ,परशाद मिलेगा
सच्चे दिल से तुमको  आशीर्वाद   मिलेगा
मुस्लिम जाते मस्जिद,हिन्दू जाते मंदिर
ईश वंदना हरदम की जाती है झुक कर
जब सिग्नल झुकता है,रेल तभी चलती है
झुक कर करो सलाम,बात तब ही बनती है
हरदम रहते तने,बात   करने  ना  रुकते 
वोट मांगने ,अच्छे अच्छे ,नेता    झुकते
तूफानों में,जो तरु झुकते,रहते  कायम
रहते तने,जड़ों से  उखड़ा करते  हरदम 
अगर झुक गयी नज़र,प्यार में  उनकी 'हाँ'है
बिना झुके क्या कभी किसी से प्यार हुआ है
झुकने झुकने में भी पर  होता है  अंतर
झुके सेंध में, घुसे चोर तब घर के अंदर
चीता जब झुकता है,तेज वार है  करता 
जितनी झुके कमान ,तीर तेजी से चलता
चलते है झुक, जब हो जाती अधिक उमर है
झुक कर पढ़ते,जब होती कमजोर नज़र है
 इसीलिये आवश्यक है ये बात  जानना
झुकने वाले की मंशा,  हालात  जानना
अम्बर झुकता दूर क्षितिज में,धरा मिलन को
झुकना सदा सफलता देता है जीवन को

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

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