शहजादा
सफेदी आ गयी बालों में ,मगर कहता युवा खुद को ,
उमर तो है ससुर बनने की ,पर अब तक कंवारा है
निकलता शब्द जो मुंह से ,वही क़ानून बन जाता ,
उसे कुछ बेशरम चमचों ने ,सच इतना बिगाड़ा है
कोई कहता है शहजादा ,कोई कहता है बच्चा है,
है मम्मी की मगर आशा ,और बहना का दुलारा है
देश की राजनीति में ,अड़ाता टांग है अपनी ,
ये धंधा पुश्तेनी इस बिन ,नहीं चलता गुजारा है
घोटू
सफेदी आ गयी बालों में ,मगर कहता युवा खुद को ,
उमर तो है ससुर बनने की ,पर अब तक कंवारा है
निकलता शब्द जो मुंह से ,वही क़ानून बन जाता ,
उसे कुछ बेशरम चमचों ने ,सच इतना बिगाड़ा है
कोई कहता है शहजादा ,कोई कहता है बच्चा है,
है मम्मी की मगर आशा ,और बहना का दुलारा है
देश की राजनीति में ,अड़ाता टांग है अपनी ,
ये धंधा पुश्तेनी इस बिन ,नहीं चलता गुजारा है
घोटू
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।