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गुरुवार, 3 अप्रैल 2014

हम और तुम

          हम  और तुम

तुम हलवे सी नरम,मुलायम ,और करारा मैं पापड़ सा,
                 खाकर देखो , पापड़ के संग ,हलवा बड़ा मज़ा देता है
तुम आलू का गर्म परांठा,और  दही मैं ताज़ा  ताज़ा ,
                 साथ दही के,गरम परांठा ,सारी  भूख मिटा  देता है
तुम मख्खन की डली तैरती ,और मैं हूँ मठ्ठा खट्टा सा,
                 मख्खन में वो चिकनापन है,जो सबको फिसला देता है
हम दोनों में  फर्क बहुत है ,हैं विपरीत स्वभाव  हमारे , 
                फिर भी तेरा मेरा मिलना ,तन मे आग लगा देता है
 
   मदन मोहन बाहेती'घोटू'                             

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