किस्मत में पत्थर पड़े, माथे धड़ दीवाल |
घोटे मदन कमाल, दिवाली जित-जित आवै |
पा जावे पच्चास, दाँव पर एक लगावे |
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हार जाए सब दाँव, पड़े किस्मत में पत्थर ||
चौपड़ पर बेगम सजे, राजा बैठ अनेक |
टिप्पण-रुप्पण एक सम, वापस मिली न एक |
वापस मिली न एक, दाँव रथ-हाथी-घोड़े |
थोड़े चतुर सयान, टिपारा बैठे मोड़े |
कह रविकर कविराय, गया राजा का रोकड़ |
जीते सभी गुलाम, हारते रानी-चौपड़ ||
टिपारा=मुकुट के आकार की कलँगीदार टोपी
भाई साहब यहां तो बड़े बड़े बैंक दिवालिया हो गए कि हिंदी बैल्ट में लोगों को रूपया दिया था कि ब्याज कमाएंगे लेकिन क़र्ज़े में भी लोगों ने राजनीति की और क़र्ज़ या तो माफ़ करा लिया या फिर वापसी का तगादा करने वालों की ऐसी सेवा की कि अब वे मांगने जाते ही नहीं।
जवाब देंहटाएंयही उधार डकारू मानसिकता हिंदी ब्लॉगिंग में भी राजनीति को जन्म दिए बैठी है और अब तो यहां कई ब्लॉगर माफ़िया तक बन चुके हैं।
हम हमेशा से इन्हें बेनक़ाब करते आए हैं।
यही लोग हैं हिंदी ब्लॉगिंग की दुर्गति के ज़िम्मेदार।
आप इनकी पोस्ट पर हमेशा फालतू की वाहवाही करते हुए ऐसे ब्लॉगर्स को देखेंगे जो कि बुद्धिजीवी माने जाते हैं।
ये लोग आपको सकारात्मक पोस्ट पर कम ही नज़र आएंगे।
हमने हिंदी ब्लॉगिंग गाइड लिखी तो हमारे युवा लेखक महेश बारमाटे जी की पोस्ट पर इनमें से कोई उत्साहवर्धन के लिए न फटका।
न्यायप्रियता और ज़मीर नाम की चीज़ इनमें दिखाई देती है कहीं।
बड़े दिनों बाद एक टिप्पणी की है मन की।
ऐसी ऐसी पोस्ट पर आप बुलाते रहा कीजिए।
धन्यवाद !
धर्म की जय हो !
बेईमानों को सद्बुद्धि मिले !!
आमीन !!!
डा. जमाल भाई आपका आभार ||
जवाब देंहटाएंबड़े ब्लागर्स और बड़े जुआरियों का खेलने का अंदाज निराला है |
रवैया भी बस थोडा अफसोसनाक |
५० बार रूपये दांव पर लगाये कभी
एक दांव अपना भी लगे ||
दीवाली है न भाई ||
आपको भी बधाई ||
बहुत सुन्दर्।
जवाब देंहटाएंek dam sahi aur sateek rachna..abhaar
जवाब देंहटाएंbahu achha likha apne...
जवाब देंहटाएंtime mile to kabhi mere blog par bhi aye..