नवरात्रि
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दूध जैसी धवल शीतल हो छिटकती चांदनी
पवन मादक,गुनगुनाये,प्रीत की मधु रागिनी
तारिकायें,गुनगुनायें,ऋतू मधुर हो प्यार की
रात हो मधुचंद्रिका सी,मिलन के त्योंहार की
गगन से ले धरा तक हो,पुष्प की बरसात सी
सेज जैसे सज रही,पहले मिलन के रात की
मदभरी सी हो निराली,रात वह अभिसार की
महक हो वातावरण में,प्यार की बस प्यार की
लाज के,संकोच के,हो आवरण सारे खुले
प्यास युग युग की बुझे,जब बहकते तन मन मिले
तुम शरद के चाँद की आभा लिये सुखदात्री हो
संग तुम्हारे बितायी,रात्रि हर, नवरात्रि हो
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
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दूध जैसी धवल शीतल हो छिटकती चांदनी
पवन मादक,गुनगुनाये,प्रीत की मधु रागिनी
तारिकायें,गुनगुनायें,ऋतू मधुर हो प्यार की
रात हो मधुचंद्रिका सी,मिलन के त्योंहार की
गगन से ले धरा तक हो,पुष्प की बरसात सी
सेज जैसे सज रही,पहले मिलन के रात की
मदभरी सी हो निराली,रात वह अभिसार की
महक हो वातावरण में,प्यार की बस प्यार की
लाज के,संकोच के,हो आवरण सारे खुले
प्यास युग युग की बुझे,जब बहकते तन मन मिले
तुम शरद के चाँद की आभा लिये सुखदात्री हो
संग तुम्हारे बितायी,रात्रि हर, नवरात्रि हो
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
नवरात्री की शुभकामनायें. नवरात्री पर सुंदर रचना पेश करने के लिये आभार.
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना ...नवरात्री की शुभकामनायें.
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना।
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