ओ मौत! तुझे बिन बुलाये आना न था
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ओ मौत! तुझे बिन बुलाये
आना न था,
गर आना था तो इतना शोर
मचाना न था.
माना कि गिर गया था सम्बल का
स्तम्भ एक,
आधार विश्वास का कुछ-कुछ
गया था दरक...
13 घंटे पहले
आप सभी को दीपावली पर मंगलकामनायें!
जवाब देंहटाएंआपकी पोस्ट आज के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
जवाब देंहटाएंकृपया पधारें
चर्चा मंच-680:चर्चाकार-दिलबाग विर्क
100वीं प्रस्तुति के रूप में बहुत ही सुन्दर और सार्थक रचना | आशा है सबकी दीवाली सुरक्षित और खुशी से गुजर रही है |
जवाब देंहटाएंमै आपकी यह पोस्ट बिलम्ब से पढ पाया हूँ ।
जवाब देंहटाएंसराहनीय है
आपकी पोस्ट सराहनीय है शुभकामनाऐं!!