एक सन्देश-

यह ब्लॉग समर्पित है साहित्य की अनुपम विधा "पद्य" को |
पद्य रस की रचनाओ का इस ब्लॉग में स्वागत है | साथ ही इस ब्लॉग में दुसरे रचनाकारों के ब्लॉग से भी रचनाएँ उनकी अनुमति से लेकर यहाँ प्रकाशित की जाएँगी |

सदस्यता को इच्छुक मित्र यहाँ संपर्क करें या फिर इस ब्लॉग में प्रकाशित करवाने हेतु मेल करें:-
kavyasansaar@gmail.com
pradip_kumar110@yahoo.com

इस ब्लॉग से जुड़े

मंगलवार, 9 अक्टूबर 2018

भटकाव 

जिधर ले गयी हवा 
बस उसी तरफ बहा 
मैं तो बस बादल बन ,
यूं ही भटकता रहा
  
न तो अंबर में ही रहा 
न ही धरती पर बहा 
मैं तो बस बीच में ही ,
यूं ही लटकता रहा 

जहाँ मिली शीतलता 
बरसा रिमझिम करता 
सौंधा  सा , माटी में,
मिल कर महकता रहा 

यहाँ वहां ,कहाँ कहाँ 
सुख दुःख ,सभी सहा 
कभी आस ,कभी त्रास 
बन कर खटकता रहा 

मैं तो बस जीवन में 
यूं ही भटकता रहा 

घोटू 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।

हलचल अन्य ब्लोगों से 1-