भाग्य ना बदल सकोगे
दिन भर लगे काम में रहते,करते मेहनत
किसके लिए सहेज रहे हो तुम ये दौलत
क्योंकि तुमको कोई न बुढ़ापे में पूछेगा
जो भी तुमने किया ,फर्ज था ,यह कह देगा
फिर भी ये तुम्हारी ममता या पागलपन
सोच रहे उसके भविष्य की हो तुम हर क्षण
लाख करो कोशिश ,भाग्य न बदल पाओगे
उसके खतिर ,कितना ही धन छोड़ जाओगे
निकला नालायक ,फूंकेगा,सारी दौलत
कर देगा बरबाद ,तुम्हारी सारी मेहनत
उसमे कूवत होगी ,ढेर कमा वो लेगा
ढंग से अपना ,घर संसार ,जमा वो लेगा
इसीलिये तुम चाहे जी भर उसे प्यार दो
देना है ,तो उसको अच्छे संस्कार दो
अगर बनाना है तो लायक उसे बनाओ
बुद्धिमान और सबका नायक उसे बनाओ
मदन मोहन बाहेती'घोटू;'
बहुत उम्दा ! आभार
जवाब देंहटाएं"एकलव्य"