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शुक्रवार, 2 अक्टूबर 2015

पूजा,प्रसाद और कामनायेँ

         पूजा,प्रसाद और कामनायेँ 

मैंने प्रभु से पूछा कि तेरे मंदिर में  ,
        कितने भगत रोज आते ,परशाद चढ़ाते
बदले में कितनी ही मांगें रख देते है ,
        तब तुझको कैसा लगता  ,ये मुझे बतादे
प्रभु ने मेरी बात सुनी और हंस कर बोले ,
        ऐसा प्रश्न किया है ,उत्तर क्या दूँ तुझको
यही सोच कर कि मैं पत्थर की मूरत हूँ ,
       लोग हमेशा मुर्ख बनाते  रहते  मुझको
एक किलो का डब्बा लाते है लड्डू का ,
      उसमे से दो चढ़ा ,शेष खुद घर ले जाते
मिलता मुझे पचास ग्राम ही है मुश्किल से ,
      एक किलो का वो मुझ पर अहसान चढ़ाते
इस पर ये तुर्रा वो मुझसे आशा करते,
      उन पर क्विंटल ,दो क्विंटल,किरपा बरसा दूँ
सबने मुझको बिलकुल बुद्धू समझ रखा है ,
      बतलाओ, ऐसे भक्तों को , मैं क्या क्या दूँ 
अक्सर उनकी मुझसे मांग हुआ करती है,
      दे दे लम्बी उमर ,हमें  दीर्घायु   कर दे
मुझे चढ़ा कर ,पांच,सात या ग्यारह रूपये,
      करें वंदना ,मेरा घर ,दौलत से भर दे
कोई लड़की ,व्रत करती,पूजा करती है,
      क्योंकि उसे चाहिए अच्छा जीवन साथी 
अच्छा जीवन साथी उसे दिलाया तो फिर ,
     चंद दिनो मे ,बेटा दो  ,अरदास लगाती
बेटा दिया ,चाहती उसको पढ़ा लिखा कर,
      मोटी तनख्वाह वाली कोई नौकरी दे दूँ
और ढेर सा ,संग दहेज लाये जो अपने,
       बहू  रूप  में ,ऐसी कोई  छोकरी  दे  दूँ
उसके मनमाफिक जब उसको बहू दिलादूँ  ,
      तो कुछ दिन में,दादी बनूं ,कामना जगती
हर दिन जब भी करने आती दर्शन ,मंदिर,
      कुछ परसाद चढ़ा,कुछ ना कुछ माँगा करती
इच्छाओं का ,कभी कोई भी अंत नहीं है,
      हर एक मन में रहती कुछ इच्छा जाग्रत है
ये कर दे तो इतना तुझे चढ़ाऊंगा मैं ,
      तरह तरह के देते  मुझे  प्रलोभन  सब  है
हद तब होती , कुछ वो बहुए ,बड़े चाव से,
       जिन्हे मांग कर ,सासू ने थे सपने  पाले
कहती बुढ़िया सासू बहुत तंग करती है,
      भगवन उसको ,जल्दी अपने पास बुलाले
तरह तरह की रोज मुझे फरमाइश मिलती ,
       तरह तरह  के  लोग, टोटके, टोने  करते
कोई नंदी के कानो में कुछ कहता है,
       कोई चूहे  के  कानो में फुसफुस   करते
यही सोच कर कि ये तो है प्रभु के वाहन ,
       प्रभु तक पहुंचा देंगे ,उनकी सब फरियादें
मन में कितना लालच भरा हुआ है सबके ,
      और दिखने में ,सब  दिखते  है सीधे सादे
स्कूल के बच्चे है मुझको शीश नमाते ,
       पेपर  बिगड़ गया है, नंबर बढ़वा  देना
नेतागण ,करवाते यज्ञ ,याचना करते ,
       इस चुनाव में ,हमको सत्ता दिलवा देना
प्रेमी शीश नमाता ,करता यही  कामना,
       उसे प्रेमिका मिलवा उसका घर बसवा दूँ
जो होते बेकार नौकरी माँगा करते ,
       कई चाहते ,उनका अपना घर बनवा दूँ
तरह तरह के लोगों की कितनी ही मांगें ,
       मैं सबकी सुन लेता ,करता अपने  मन की
नहीं जानते,कर्म करो तब फल मिलता है ,
       सबसे बड़ी हक़ीक़त यह होती जीवन की

मदन मोहन बाहेती'घोटू'
  

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