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गुरुवार, 8 अक्टूबर 2015

आशिकाना मिजाज -बचपन से

      आशिकाना मिजाज -बचपन से

पैदा होते ही पकड ली थी नर्स की ऊँगली ,
      और फिर बाहों में उसने हमे झुलाया था
कोई आ  नर्स बदलती थी हमारी नैप्पी ,
     गोद में ले के ,बड़े प्यार से खिलाया था
हम मचलते थे ,कोई देखने जब आती थी,
       बाहों में हमको भर के ,सीने से लगाती थी
हमारे घर के आजू बाजू की हसीनाएं ,
       आती जाती  हमारे गाल चूम जाती   थी
बीज जो आशिक़ी के पड़ गए थे बचपन में ,
      फसल को अच्छी बन के फिर तो उग ही आना है
बताएं आपको क्या ,ये मगर हक़ीक़त है,
      अपना मिजाज तो बचपन से आशिकाना  है 

घोटू

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