उम्र की दस्तक गुनगुना रही है राग मालकोस...
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मैंने तकलीफों को रिश्वत नहीं दी
कोई न्यौता भी नहीं दिया
उनकी जी हजूरी भी नहीं की
फिर भी बैठ गयी हैं आसन जमाकर
जैसे अपने घर के आँगन में
धूप में बैठी स्त...
4 घंटे पहले
ये पत्थरों का शहर ये पत्थरों का शहर..,
जवाब देंहटाएंअश्क़े -आबसार यहाँ चश्में-ज़द हैं तर.....