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शनिवार, 21 मार्च 2015

"निरंतर" की कलम से.....: ये पत्थरों का शहर है

"निरंतर" की कलम से.....: ये पत्थरों का शहर है: ये पत्थरों का शहर है, यहाँ अश्कों का क्या काम जहाँ पत्थर के बुत रहते हों, वहां मोहब्बत का क्या काम जहां जिस्मों में दिल नहीं वहां दर्द का ...

1 टिप्पणी:

  1. ये पत्थरों का शहर ये पत्थरों का शहर..,
    अश्क़े -आबसार यहाँ चश्में-ज़द हैं तर.....

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