मौसम बदला
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धूप कुनकुनी,नरम नरम दिन,और सौंधी सौंधी सी राते
साँझ चरपरी,भोर रसभरी,और खट्टी मीठी सी बातें
गरम जलेबी,गाजर हलवा,स्वाद भरा मतवाला मौसम
छत पर धूप,तेल की मालिश,चुस्ती फुर्ती वाला मौसम
है स्वादिष्ट,चटपटा, मनहर,प्यारा मौसम मादकता का
और उस पर से छोंक लगा है, मधुर तुम्हारी सुन्दरता का
ये मौसम जम कर खाने का,छकने और छकाने का है
नरम रजाई,कोमल कम्बल,तपने और तपाने का है
प्यारा प्यारा ठंडा मौसम,पर इसकी तासीर गरम है
सिहरन सी पैदा कर देती,तेरे तन की गरम छुवन है
तन की ऊष्मा,मन की ऊष्मा और फिर अपनेपन की ऊष्मा
मादक नयन ,गुलाबी डोरे,बढ़ जाती प्रियतम की सुषमा
सर्दी के आने की आहट,सुबह शाम है ठण्ड गुलाबी
गौरी के गोरे गालों की,रंगत होने लगी गुलाबी
दिन छोटा,लम्बी है रातें,है ये मौसम मधुर मिलन का
सूरज भी जल्दी घर जाता,पल्ला छोड़ ,ठिठुरते दिन का
इस मतवाली,प्यारी ऋतू में,आओ हम सब मौज मनाएं
त्योंहारों का मौसम आया,आओ हम मिल दीप जलाएं
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'
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धूप कुनकुनी,नरम नरम दिन,और सौंधी सौंधी सी राते
साँझ चरपरी,भोर रसभरी,और खट्टी मीठी सी बातें
गरम जलेबी,गाजर हलवा,स्वाद भरा मतवाला मौसम
छत पर धूप,तेल की मालिश,चुस्ती फुर्ती वाला मौसम
है स्वादिष्ट,चटपटा, मनहर,प्यारा मौसम मादकता का
और उस पर से छोंक लगा है, मधुर तुम्हारी सुन्दरता का
ये मौसम जम कर खाने का,छकने और छकाने का है
नरम रजाई,कोमल कम्बल,तपने और तपाने का है
प्यारा प्यारा ठंडा मौसम,पर इसकी तासीर गरम है
सिहरन सी पैदा कर देती,तेरे तन की गरम छुवन है
तन की ऊष्मा,मन की ऊष्मा और फिर अपनेपन की ऊष्मा
मादक नयन ,गुलाबी डोरे,बढ़ जाती प्रियतम की सुषमा
सर्दी के आने की आहट,सुबह शाम है ठण्ड गुलाबी
गौरी के गोरे गालों की,रंगत होने लगी गुलाबी
दिन छोटा,लम्बी है रातें,है ये मौसम मधुर मिलन का
सूरज भी जल्दी घर जाता,पल्ला छोड़ ,ठिठुरते दिन का
इस मतवाली,प्यारी ऋतू में,आओ हम सब मौज मनाएं
त्योंहारों का मौसम आया,आओ हम मिल दीप जलाएं
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'
madan ji
जवाब देंहटाएंbahut bahut hi man prafullit ho gaya
aapki is anupam kriti ko padh kar .bahut hi achcha laga
bahut bahut badhai
poonam
ऋतु परिवर्तन पर एक अच्छी रचना.
जवाब देंहटाएंआपका पोस्ट अच्छा लगा । धन्यवाद । मेरे पोस्ट पर आपका स्वागत है ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर स्वागत नव ऋतु का..
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