एक सन्देश-

यह ब्लॉग समर्पित है साहित्य की अनुपम विधा "पद्य" को |
पद्य रस की रचनाओ का इस ब्लॉग में स्वागत है | साथ ही इस ब्लॉग में दुसरे रचनाकारों के ब्लॉग से भी रचनाएँ उनकी अनुमति से लेकर यहाँ प्रकाशित की जाएँगी |

सदस्यता को इच्छुक मित्र यहाँ संपर्क करें या फिर इस ब्लॉग में प्रकाशित करवाने हेतु मेल करें:-
kavyasansaar@gmail.com
pradip_kumar110@yahoo.com

इस ब्लॉग से जुड़े

रविवार, 16 अक्टूबर 2011

चंदा मामा और करवाचौथ

चंदा मामा और करवाचौथ
--------------------------------
जब भी कभी होती है पूनम की रात
मेरे मन में उठती रह रह यह बात
चाँद और सूरज  दोनों चमकते है
राहू और केतु दोनों को डसते  है
पर सूरज  हर दिन चमकता ही रहता
और  चाँद पंद्रह दिन बढ़ता फिर घटता
अमावस  की रात को चाँद कहाँ है जाता
और चंदा बच्चों का मामा क्यों कहलाता
औरते करवा चौथ को,क्यों पूजती है चाँद को
सामने छलनी रख,क्यों देखती  है चाँद को
मनन करने पर आया कुछ ज्ञान मन में
सभी प्रश्नों का किया समाधान हमने
चाँद की शीतलता जानी पहचानी है
चन्द्रमा दुनिया का सबसे बड़ा दानी है
सूरज से रौशनी वो लेता उधर है
बांटता दुनिया को,करता उपकार है
इसी दान वीरता और परोपकार के कारण
बढ़ता ही रहता है ,जब तक कि हो पूनम
और पूर्ण होने पर,अहंकार है  आता
इसी लिए रोज़ रोज़ फिर घटता ही जाता
चाँद को केरेक्टर थोडा सा ढीला है
वैसे भी तबियत का थोडा  रंगीला है
अहिल्या के किस्से से,औरतें घबरायी
चाँद को बना लिया उनने अपना भाई
कहने लगी बच्चों से,ये चंदा मामा है
भाई का फ़र्ज़ बहन कि इज्जत बचाना है
 फिर भी कर्वाचोथ का व्रत वो करती है
चाँद और अपने बीच,चलनी रख लेती है
जिससे बस धुंधली सी शकल ही नज़र आये
रूप देख चंदा की नीयत ना ललचाये
दुखी हो पड़ा रहता ,धुत्त ,सोमरस पीकर
इसीलिए अमावास को नहीं आता धरती पर

मदन मोहन बाहेती 'घोटू'

1 टिप्पणी:

कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।

हलचल अन्य ब्लोगों से 1-