बदला छोड़ो ,खुद को बदलो
तुमने मुझ को गाली दी है,
मैं भी तुमको गाली दूंगा
तुमने पीटा, मैं पीटूंगा,
तुमसे पूरा बदला लूंगा
एक दूसरे के आगे हम ,
लेकर के तलवार खड़े हैं
यही भावनाएं बदले की
युद्ध कराती बड़े बड़े हैं
इसीलिए तुम थोड़ा संभलो
बदला छोड़ो, खुद को बदलो
यदि जो तुम खुद को बदलोगे
बदला बदला जगत लगेगा
नफरत की बदली छट कर के
प्यार भरा सूरज चमकेगा
सदभावों के फूल खिलेंगे ,
जीवन की बगिया महकेगी
कांव-कांव का शोर हटेगा
कुहू कुहू कोयल कूकेगी
गुस्सा भूलो,थोड़ा हंस लो
बदला छोड़ो ,खुद को बदलो
अपशब्द अगर कोई बोले
चुपचाप सुनो ,मन शांत रखो
कोई कितना भी उकसाये,
व्यवहार मगर संभ्रांत रखो
कितनी भी विकट परिस्थितियां
तुम्हारे जीवन में आए
तुम पार करोगे हर मुश्किल,
विश्वास डगमगा ना पाये
मत अपने गले मुसीबत लो
बदला छोड़ो ,खुद को बदलो
मदन मोहन बाहेती घोटू
बहुत ही बढ़िया
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