शिकायत पत्नी की
प्रिय मुझको बिल्कुल ना पसंद
तुम्हारे दोहरे मापदंड
जब आई तुम्हारी देहरी थी
मैं दुबली और छरहरी थी
मैं लगती प्यारी तुम्हें बड़ी
तुम मुझको कहते कनक छड़ी
फिर मुझे प्यार आहार खिला
तुमने तन मेरा दिया फुला
बढ़ गए बदन के सब घेरे
और तंग हुए कपड़े मेरे
तो मोटी मोटी कह कर के
करते रहते हो मुझे तंग
प्रिय मुझको बिल्कुल ना पसंद
तुम्हारे दोहरे मापदंड
जुल्फें मेरी काली काली
लगती है तुमको मतवाली
मोहती है इनकी छटा तुम्हें
कहते हो काली घटा इन्हे
पर गलती से यदि एक बार
इन जुल्फों का जो एक बाल
आ जाए दाल में अगर नजर
तो मुझे कोसते हो जी भर
तुम थाली छोड़ चले जाते
मुझको देते इस तरह दंड
प्रिय मुझको बिल्कुल नापसंद
तुम्हारे दोहरे मापदंड
है मेरी ननंद बड़ी प्यारी
लगती है बहना तुम्हारी
तुम उसे चिढ़ाते रहते हो
और उल्टा सुल्टा कहते हो
लेकिन मेरी बहना प्यारी
जो लगती तुम्हारी साली
तुम जान लुटाते हो उस पर
आधी घरवाली कह अक्सर
उसके संग फ्लर्टिंग करते हो
क्या अच्छे हैं यह रंग ढंग
प्रिय मुझको बिल्कुल ना पसंद
तुम्हारे दोहरे मापदंड
मदन मोहन बाहेती घोटू
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।