एक सन्देश-

यह ब्लॉग समर्पित है साहित्य की अनुपम विधा "पद्य" को |
पद्य रस की रचनाओ का इस ब्लॉग में स्वागत है | साथ ही इस ब्लॉग में दुसरे रचनाकारों के ब्लॉग से भी रचनाएँ उनकी अनुमति से लेकर यहाँ प्रकाशित की जाएँगी |

सदस्यता को इच्छुक मित्र यहाँ संपर्क करें या फिर इस ब्लॉग में प्रकाशित करवाने हेतु मेल करें:-
kavyasansaar@gmail.com
pradip_kumar110@yahoo.com

इस ब्लॉग से जुड़े

शनिवार, 22 अप्रैल 2023

म की महिमा 

बच्चा जब बोलना सीखता है 
तो सबसे पहले वो म सीखता है 
पाकर मां की ममता और दुलार 
पिता और भाई बहनों का प्यार 
मिलजुल कर रहने का भाव हम सीखता है 
बच्चा सबसे पहले जब बोलना सीखता है 
तो सबसे पहले म सीखता है 

फिर वह सीखता है बारहखड़ी 
पढ़कर किताबें फिर बड़ी-बड़ी 
उसका मैं जागृत हो जाता है 
और वह अहम सीखता है 
बच्चा जब बोलना सीखता है 
तो सबसे पहले वह म सीखता है 

फिर जब जगती किसी के प्रति चाह
 और हो जाता है उसका विवाह 
 तो वह मां की ममता का म भुला देता है 
 भाई बहन के प्यार का हम भुला देता है 
 यहां तक की अपना मैं याने अहम भुला देता है पत्नी के आगे पीछे डोलता है 
और बस यस मैडम यस मैडम ही बोलता है 
बच्चा जब बोलना सीखता है
तो सबसे पहिले वह म सीखता है 

और जब बुढ़ापा आ जाता है 
तो फिर कोई भी म काम नहीं आता है 
और एक ही म करता है मुक्ति देने का काम 
और वह होता है राम का नाम 
बचपन की मां के नाम के साथ सीखा म,
राम के नाम के म में बदल जाता है 
और यह म ही अन्त समय काम आता है
बच्चा जब बोलना सीखता है
तो सबसे पहले वह म सीखता है

मदन मोहन बाहेती घोटू 

1 टिप्पणी:

कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।

हलचल अन्य ब्लोगों से 1-