अभी बहुत कुछ करना आगे
अभी बहुत कुछ करना आगे
क्यों मुश्किल से डर, हम भागे
सुख-दुख चिंता परेशानियां,
जीवन संग बनी रहती है
फिर भी अच्छे दिन आएंगे ,
मन में आस जगी रहती है
अगर निराशा के जालों में ,
फसे रहेंगे ,पछताएंगे
आशावादी दृष्टिकोण से ,
अगर जिएंगे, सुख पाएंगे
परमेश्वर से अपना, सबका,
सुख स्वास्थ्य और वैभव मांगे
क्यों मुश्किल से डर हम भागे
अभी बहुत कुछ करना आगे
यह सच है जो लिखा नियति ने,
उसको कोई बदल ना पाया
लाख कमा ले कोई माया
साथ न कोई ले जा पाया
कितनी भी को विकट परिस्थिति
नहीं जरा भी घबराना है
हर मुश्किल से उबर जाएंगे
हिम्मत से ,बढ़ते जाना है
हंसते-हंसते जिएंगे हम ,
सुबह तभी है, जब हम जागे
क्यों मुश्किल से डर,हम भागें
अभी बहुत कुछ करना आगे
चार दिनों का यह जीवन है,
उसका मजा उठाएं पूरा
खाए पिए नाचे गाए
रहे न कोई शौकअधूरा
जब तक जियें, मस्त रहें हम,
मन में खुशियां और चाव हो
जब भी जायें प्यास ना रहे ,
मन में केवल तृप्ति भाव हो
रहे संतुलित जीवनचर्या ,
अपनी मर्यादा ना लांघे
क्यों मुश्किल से डर हम भागें
अभी बहुत कुछ करना आगे
मदन मोहन बाहेती घोटू
बहुत बढ़िया प्रस्तुति।
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