शुक्रिया जिंदगी
मुझे जिंदगी से अपनी है, ना शिकवा ना कोई गिला
संतुष्टि है मुझको उससे ,जो कुछ भी है मुझे मिला
एक प्यारी सुंदर पत्नी है, प्यार लुटाने वाली जो
मेरे जीवन में लाई है, खुशहाली, हरियाली जो
मेरे हर एक ,सुख और दुख में, साथ निभाती आई है
बढ़ती हुई उमर में उसका साथ बड़ा सुखदाई है
एक प्यारी सी बिटिया है जो हर दम रखती ख्याल मेरा
सदा पूछती रहती है जो ,मेरे सुख-दुख ,हाल मेरा
समझदार एक बेटा ,जिसमें भरा हुआ है अपनापन
चढा प्रगति की सीढ़ी पर वह ,मेरा नाम करे रोशन
भाई बहन सब के सब ही तो प्यार लुटाते हैं जी भर
जब भी मिलते अपनेपन से, दिल से मेरी इज्जत कर
यार दोस्त जितने भी मेरे, वे सब के सब अच्छे हैं
मददगार हैं साथ निभाते और ह्रदय के सच्चे हैं
और सभी रिश्तेदारों संग , बना प्रेम का भाव वहीं
ना कोई से झगड़ा टंटा, मन में कोई मुटाव नहीं
बढ़ती उमर ,क्षरण काया का कुछ ना कुछ तो होना है
फिर भी तन मन से दुरुस्त मैं,ना दुख है ना रोना है
यही तमन्ना है कि कायम रहे उम्र भर यही सिला
मुझे जिंदगी से अपनी है ,ना शिकवा ना कोई गिला
संतुष्टि है मुझको उससे ,जो कुछ भी है मुझे मिला
मदन मोहन बाहेती घोटू
जी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (२७-0६-२०२१) को
'सुनो चाँदनी की धुन'(चर्चा अंक- ४१०८ ) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
सन्तोष धन से बड़ा कोई धन नहीं है …बना रहे यह धन…आमीन🙏
जवाब देंहटाएंवाह ! सुंदर समता भाव और संतोष से पूरित भाव।
जवाब देंहटाएंअप्रतिम।
वाह!बहुत सुंदर सृजन।
जवाब देंहटाएंसादर
बहुत सुंदर सृजन
जवाब देंहटाएंआजकल अति महत्वाकांक्षा के चलते ऐसी संतुष्टि बहुत कम मिलती है ...विरले ही होते हैं ऐसे जिन्हें किसी से अपनी जिन्दगी से और भगवान से शिकायत न हो...काश ऐसे भाव और संतुष्टि सबको मिले...
जवाब देंहटाएंबहुत ही लाजवाब सृजन।
बहुत सुंदर
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