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सोमवार, 21 जून 2021

क्योंकि मैंने प्यार किया है 

कई बार 
जैसे रिमझिम की बरसती हुई सावन की फुहार 
जब बरसती है बनकर मूसलाधार 
या मंद मंद महती हुई बयार
 बन जाती है तूफान 
 या कलकलाती हुई नदियों में आ जाता है उफान 
 जो बन जाती है भयंकर बाढ़ 
 और सब कुछ देती है उजाड़ 
 या जब कभी कभी उष्णता देने वाली अगन 
 जो भोजन को पकाकर स्वाद भर देती है 
 जब कुपित होती है तो सब कुछ स्वाह कर देती है 
 या जब आसमान में अठखेलियां करते हुए  नन्हें बादल अपना रूप बदल 
 बन जाते हैं घटा घनघोर 
 गरज गरज कर मचाते हैं शोर 
 वैसे ही मेरी प्रेमिका प्यारी 
 मंद मंद मुस्कान वाली 
 जब से बनी है मेरी घरवाली 
 कभी-कभी बादल सी गरजती है 
 बिजली सी कड़कती है 
 मचा देती है तूफान 
 कर देती है बहुत परेशान 
 धर लेती है चंडी का रूप विकराल 
 बुरा हो जाता है मेरा हाल 
 पर मैं शांति से सब कुछ सहता हूं 
 कुछ नहीं कहता हूं 
 क्योंकि मैं जानता हूं की अन्य प्राकृतिक आपदाओं की यह संकट 
 यूं तो होता है बड़ा विकट 
 पर कुछ तो बोलो तो जल्दी जाता है टल
 फिर वही नदियों की मस्त कल कल 
 फिर वही बरसती हुई प्यार की फुहार 
 क्योंकि ऐसा होता आया है कई बार 
 ऐसी आपदाओं के लिए मैं हमेशा रहता हूं तैयार क्योंकि मैंने किया है प्यार

मदन मोहन बाहेती घोटू

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