हम सब कांवड़िये है
जीवन में हर एक काँधे पर होती कांवड़
संभल संभल जो चलते वो पाते आगे बढ़
एक तरफ कांवड़ में परिवार और घर है
और दूसरी तरफ काम है और दफ्तर है
दोनों पर ही पूर्ण ध्यान देना आवश्यक ,
ऊंच नीच थोड़ी सी भी कर देती गड़बड़
जीवन में हर एक काँधे पर होती कांवड़
कांवड़ में एक तरफ पत्नी का अधिकार है
एक तरफ माँ और पिता का भरा प्यार है
दोनों का संतुलन अगर थोड़ा बिगड़ा ,
जीवन यात्रा में कितनी मुश्किल जाती पड़
जीवन में हर एक काँधे पर होती कांवड़
हर कावड़ में एक तरफ खुशियां सुख है
परेशानियां ,दूजी और भरे दुःख है
सुख दुःख में संतुलन बना कर जो जीते ,
वो ही सफलता की मंजिल को पाते चढ़
जीवन में हर एक काँधे पर होती कांवड़
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
जीवन में हर एक काँधे पर होती कांवड़
संभल संभल जो चलते वो पाते आगे बढ़
एक तरफ कांवड़ में परिवार और घर है
और दूसरी तरफ काम है और दफ्तर है
दोनों पर ही पूर्ण ध्यान देना आवश्यक ,
ऊंच नीच थोड़ी सी भी कर देती गड़बड़
जीवन में हर एक काँधे पर होती कांवड़
कांवड़ में एक तरफ पत्नी का अधिकार है
एक तरफ माँ और पिता का भरा प्यार है
दोनों का संतुलन अगर थोड़ा बिगड़ा ,
जीवन यात्रा में कितनी मुश्किल जाती पड़
जीवन में हर एक काँधे पर होती कांवड़
हर कावड़ में एक तरफ खुशियां सुख है
परेशानियां ,दूजी और भरे दुःख है
सुख दुःख में संतुलन बना कर जो जीते ,
वो ही सफलता की मंजिल को पाते चढ़
जीवन में हर एक काँधे पर होती कांवड़
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
बहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएं